'लीजी' को साल 2006 में एड्स होने का पता चला था। आज वह अपनी 10 साल की बेटी के साथ रह रही हैं। वह बताती हैं कि मैं चार साल से अपने साथी 'बेंजी' के साथ रह रही थी, उस वक्त हमारी बेटी 'जाये' सिर्फ 13 महीने की थी। एक दिन बेंजी घर आया, वह अस्वस्थ महसूस कर रहा था। हमने सोचा कि यह सिर्फ एक साइनस संक्रमण था, लेकिन चार दिनों के भीतर वह मर गया।
पोस्टमार्टम से पता चला कि उसका इम्यून सिस्टम कमजोर था। दरअसल, उसे एचआईवी था। जल्द ही मैंने भी जाये के साथ परीक्षण करवाया, जिसे मैं अभी भी स्तनपान कर रही थी। उसका परिणाम नकारात्मक था, लेकिन मेरा सकारात्मक था। उस समय मैं सदमे में थी।
मैंने पहले सोचा कि इसके बारे में किसी को नहीं बताऊंगी, लेकिन मुझे एहसास हुआ कि 'बेंजी' मुझसे पहले कुछ महिलाओं के साथ सोया था। मैं उनके बारे में जानना चाहती थी। यह मुश्किल था और बेंजी के परिवार ने यह मानने से इंकार कर दिया कि उसे एड्स था। उल्टा उन्होंने मुझे ही दोषी ठहराया।
यह आठ साल पुरानी बात है। आज मैं खुश और स्वस्थ हूं व मुझमें एड्स के लक्षण भी नहीं हैं। मैंने पिछले साल की दवा लेनी शुरू की है। अब 'जाये' 10 की है और मैंने उसे उसकी उम्र के हिसाब से बातें बताई हैं। मैंने उसे बताना शुरू किया था कि उसकी मां के खून में कीड़े हैं। अब वह इसके बारे में बहुत अधिक समझती है।
जो जोश को 2008 में पता चला कि उन्हें एचआईवी है। उनकी 25 साल की एक बेटी है। वह बताती हैं कि एचआईवी संक्रमण के बारे में लोगों के मन में एक खराब छवि है। अधिकांश संक्रमण, असुरक्षित यौन संबंध के माध्यम से फैलते हैं और लोग इसे खराब मानते हैं।
जब तक मैं खुद इस शब्द के बारे में नहीं जान गई थी, मैंने अपनी बेटी को इसके बारे में नहीं बताया था। उस वक्त वह 18 साल की थी, और मैं सदमे में थी। शुरुआत में अपको एचआईवी के बारे में पता नहीं होता है। यह भी नहीं पता होता है कि इन दिनों कितना बेहतर दवा बाजार में हैं। फिर आप महसूस करने लगते हैं कि इसके साथ चला जा सकता है। मुझे अभी तक किसी भी दवा की जरूरत नहीं है।
तो ये वो औरते हैं जो एड्स को हरा कर अपना सासान्य जीवन जी रही हैं। एड्स को बोझ की तरह नहीं समझती हैं। आज ये खुश हैं और अपने परिवार के साथ हैं..
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