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10वीं के छात्रों ने किया वो कमाल जो IITऔर IIM से निकलने वालों के लिए भी मुश्किल

Updated Wed, 21 Jun 2017 03:31 PM IST
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Chaitanya Golcha, Mrigank Gujjar, Utsav Jain,
Chaitanya Golcha, Mrigank Gujjar, Utsav Jain, - फोटो : social media
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कहते हैं सफलता की कोई उम्र नहीं होती, सच्ची लगन और नीयत से कुछ भी मुमकिन है। जयपुर के 3 छात्रों ने इस कहावत को सार्थक करके दिखाया है। 10वीं के 3 छात्रों ने वो कर दिखाया जो शायद IIT और IIM के छात्रों के लिए आसान नहीं होता है। जिस उम्र में बच्चे मैदानों में खेला करते हैं उस उम्र में जयपुर के चैतन्य गोलचा, मृगांक गुज्जर और उत्सव जैन अपने स्टार्ट अप के आइडिया पर काम किया करते थे। उनकी मेहनत का परिणाम स्टार्ट-अप को मिली 3 करोड़ की फंडिंग के रुप में सामने आया। 
 
क्या है आइडिया?
 
जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल के ये तीनों छात्र 10वीं में पढ़ते हैं। इन्फ्यूजन बेवरेज नाम से इनका स्टार्ट-अप जल्द ही शुरू होने वाला है। इन बच्चों की कंपनी फ्लेवर्ड वॉटर तैयार करेगी जिसमें किसी भी तरह के प्रिजरवेटिव्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है। सबसे खास बात ये है कि इनके ड्रिंक्स में न तो सोडा है और न ही चीनी का इस्तेमाल किया गया है। मजेदार बात ये है कि 10वीं के इन तीनों छात्रों को FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) की तरफ से भी हरी झंडी दिखाई जा चुकी है। 
 
जिस स्टार्ट-अप की वजह से आज इन तीन बच्चों की चर्चा है, उसकी राह बहुत कठिन थी। योर स्टोरी नाम के वेब पोर्टल को चैतन्य गोलचा ने बताया कि उनके आइडिया को फेस्ट में पहले ही राउंड से बाहर कर दिया गया था। 1 घंटे के भीतर वो प्रतियोगिता से बाहर हो चुके थे । चैतन्य बताते हैं कि पिछले साल उनके स्कूल के इंटरप्रेन्योरशिप फेस्ट में हिस्सा लिया वहां पहली बार हमारी 150 बोतलें बिकी। यहां से छात्रों ने अपनी आगे की तैयारी शुरू की और जल्द ही निवेशक भी ढूंढ लिया। 
 
अपने सपने को हकीकत में बदलने वाले छात्र बताते हैं कि उनकी मेन थीम फ्लेवर्ड वाटर बनाने की थी जिसमें न तो चीनी का इस्तेमाल और न ही सोडा डाला जाए। छात्र बताते हैं कि गूगल पर लंबी चौड़ी रिसर्च करने के बाद हम अपना ड्रिंक बनाने में कामयाब हो गए। छात्र बताते हैं कि उन्हें इस बात का इल्म था कि उनकी छोटी उम्र उनके सपने को आधिकारिक तौर पर आकार देने में मुश्किल करेगी। लिहाजा उन्होंने तमाम लाइसेंस और प्रक्रियाओं से गुजरने के लिए अपने पेरेंट्स की मदद ली। 
 
अपने आइडिया को बेहतर बनाने के लिए छात्र IIT और IIM के इंटरप्रेन्योरशिप प्रतियोगिताओं में भी गए। जहां उनके आइडिया को खासा सराहा गया। चैतन्य गोलचा, मृगांक गुज्जर और उत्सव जैन के हिस्से में बड़ी कामयाबी तब आई जब उनके आइडिया को मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने पसंद किया। इसी संस्थान ने तीनों छात्रों के आइडिया को पेटेंट कराने में भी मदद की। अब तो स्टार्ट-अप को FSSAI की अनुमति भी मिल चुकी है। 
 
जो कंपनी इन्फ्यूजन बेवरेज की फंडिंग कर रही है, उस कंपनी ने इसकी मार्केटिंग और रिसर्च की जिम्मेदारी भी इन्हीं 3 छात्रों को दी है। अब चैतन्य गोलचा, मृगांक गुज्जर और उत्सव जैन इस आइडिया को इंटरनेशनल बनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। 
 
बहरहाल इन 3 छात्रों की मेहनत उन सबके लिए मिसाल है जो तमाम संसाधन और सहयोग मिलने के बाद भी सफल नहीं हो पाते और इसके लिए सिस्टम को दोषी बताते हैं।  
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