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किसी भी देश की आर्मी का कार्यक्षेत्र सिर्फ सरहद तक ही सीमित नहीं है। सुरक्षा से लेकर अनुसंधान, प्रौद्योगिकी से लेकर निर्माण के कार्यों में भी आर्मी हमेशा आगे रहती है। कहते हैं न, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। इसीलिए कई युद्धों में आर्मी ने कुछ ऐसे आविष्कार किये, जो युद्ध के मैदान पर तो कारगर सिद्ध हुए ही, बाद में हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का भी अंग बन गए।
इन खास आविष्कारों की उपज के बिना आधुनिक जिंदगी 'न' के बराबर है। देखिए इन 5 आविष्कारों को जिनकी खोज आज से करीब 100 सालों पहले ही हो चुकी थी लेकिन आज ये एक नया रूप ले चुके हैं। इन खास तरह के आविष्कारों को सेना ने अपने यूज के लिए बनाया था लेकिन किसने सोचा था कि ये आधुनिक जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाएंगी।
'एयरक्राफ्ट ट्रैकिंग रडार' को सबसे पहले वायुसेना द्वारा प्रयोग में लाया गया था। रडार का मतलब होता है- (रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग)। जिसकी मदद से किसी भी गतिशील चीज जैसे एरोप्लेन, शिप या फिर मोटरगाड़ी की दिशा और दशा के बारे में दूर से ही पता लगाया जा सकता है। इसे 1930 में बनाया गया था लेकिन आज रडार का प्रयोग एयर ट्रैफिक को कंट्रोल करने और खाना गर्म करने वाले औजार 'माइक्रोवेव ओवन' में भी किया जाता है।
इसका आविष्कार भी 1930 में मिलिट्री ने अपने प्रयोग में लाने के लिए किया था। लेकिन आज वॉकी-टॉकी को पब्लिक की सुरक्षा के लिए किया जाता है। पुलिस वाले, ट्रैफिक पुलिस के हाथों में ये यंत्र आपने देखा होगा। फोन और मोबाइल की तरह ही 'वॉकी टाकी' का इस्तेमाल होता है।
नाइट विजन यंत्र- रात में देखने वाला औजार। इस यंत्र का इस्तेमाल करके अंधेरी रात में भी आसानी से देखा जा सकता है। इसे 1940 में इजात किया गया था। अपनी सुरक्षा और दूसरे कामों के लिए मिलिट्री के लोगों ने इसे यूज में लाया था। लेकिन आज इसका उपयोग 'लो लाइट फोटोग्राफी' के लिए किया जाता है।
1942 में डक्ट टेप का आविष्कार कारतूस के डब्बे को सील करने के लिए हुआ था, जिससे उसमें पानी न भर सके। लेकिन आज इस टेप का उपयोग अपने सामान को भी ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
मात्र कुछ वर्षों में इंटरनेट ने विश्व को बदल के रख दिया है और जो लोग 80 के दशक के बाद पैदा हुए उनके लिए इंटरनेट के बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है। इंटरनेट का अविष्कार सन 1960 में डिपार्टमेंट ऑफ डिफेन्स के द्वारा किया गया था। उस समय कंप्यूटर बहुत कम थे और ऐसा कोई माद्यम नहीं था जिसके द्वारा एक ही जगह से सारे कंप्यूटरों को इस्तेमाल में लाया जा सके। यही सोचकर इंटरनेट का अविष्कार किया गया।