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कंप्यूटर का महत्व कितना है ये किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है। सभी जानते हैं कि भविष्य ही नहीं वर्तमान की कल्पना भी बगैर कंप्यूटर के नहीं की जा सकती। आए दिन नए-नए कंप्यूटर्स का आविष्कार होता रहता है। अगर आज की बात करें तो दुनिया का नंबर एक सुपर कंप्यूटर चीन द्वारा बनाया गया 'सनवे तायहूलाइट' है। भले ही लोगों के जीवन में बेहद सहज और प्राथमिक बन चुके कंप्यूटर को आधुनिकतम तकनीक की महान खोज माना जाता है और आधुनिकता का पर्याय भी, लेकिन आपको बता दें कि आज से 2000 साल पहले भी कंप्यूटर जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता था और वैज्ञानिकों ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है।
आइए बताते हैं आखिर ये मामला क्या है... वर्ष 1900 में यूनानी द्वीप ‘एंटीकायथेरा’ से पाए गए एक उपकरण को शोधार्थियों(Researchers) ने डिकोड किया है। इसे यूनानी सुपर कंप्यूटर माना जा रहा है। दरअसल इस मशीन का शोध एक अंतर्राष्ट्रीय शोधार्थियों की टीम द्वारा किया जा रहा है।
शोधार्थियों का कहना है कि डिकोड के शुरुआती चरण से जो नतीजे निकले वे चौंकाने वाले हैं। उनका मानना है कि शायद यूनानी इसका प्रयोग भविष्य जानने के लिए भी किया करते थे। डिकोडिंग के दूसरे चरण में कई और राज खोले जा सकते हैं।
क्या है एंटीकायथेरा मैकेनिज्म
अगर इसके बारे में बात करें तो ‘एंटीकायथेरा मैकेनिज्म’ नाम से प्रसिद्ध यह सुपर कंप्यूटर प्राचीन यूनानियों के लिए सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की चाल का चार्ट तैयार करने में मदद करता था।
ये कंप्यूटर बताता था ग्रहों की स्थिति
शोधार्थियों का मानना है कि करीब 60 से 200 ईसा पूर्व यूनानी वैज्ञानिकों द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाता था। इस कंप्यूटर में कांसे से बने यंत्र एक क्रम से लगाए गए हैं। इससे ग्रहणों की भविष्यवाणी समेत सूर्य, चंद्रमा और तारों की गणना की जाती थी। इतना ही नहीं पांच ग्रहों मंगल, बृहस्पति, बुध, शुक्र, और शनि की स्थिति को भी ट्रैक किया जाता था।
कहां से मिला ये सुपर कंप्यूटर
दरअसल इस कंप्यूटर को 1900 में यूनानी द्वीप एंटीकायथेरा में गोताखोरों ने एक जहाज़ से पाया इसलिए इसका नाम भी उन्होंने इस द्वीप के नाम पर एंटीकायथेरा रखा है। ये जहाज़ पूरी तरह से तबाह हो चुका था, लेकिन कंप्यूटर जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में बचा हुआ था। 100 सालों से भी ज्यादा समय तक यह वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना रहा।
ऐसे किया डिकोड
शोधकर्ताओं ने सबसे पहले कंप्यूटर के आंतरिक तंत्र का अध्ययन किया। एक्स-रे और नवीनतम इमेजिंग तकनीक द्वारा स्कैन किए जाने पर पता चला कि उपकरण के 82 अलग-अलग टुकड़े हैं। जिन पर यूनानी भाषा में खगोलीय लेख या कोड लिखे गए हैं।
कोड सिर्फ़ 1.2 मिमी में लिखे गए हैं। जिन्हें आंखों से नहीं पढ़ा जा सकता। इसके लिए अब सूक्ष्मदर्शी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे खोलना काफी मुश्किल काम है। अब इसके लिए दूसरी तकनीकों पर ध्यान दिया जा रहा है। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चला है कि मशीन द्वारा किस प्रकार खगोलीय गणना की जाती थी।
ये है आज का सुपर कंप्यूटर
वर्तमान समय में दुनिया का नंबर एक सुपर कंप्यूटर चीन द्वारा बनाया गया 'सनवे तायहूलाइट' है। यह 93.01 पीएफएलओपीएस यानी लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशन प्रति सेकंड की गति से गणना करता है।
Source: Inquisitr