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इस टेक्नोलॉजी को पाने की दौड़ में हैं चीन-अमेरिका, जिसके पास होगी बन जाएगा शहंशाह

फिरकी टीम, नई दिल्ली Published by: Pankhuri Singh Updated Fri, 28 Dec 2018 05:12 PM IST
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China and America are fighting over technology, know more about quantum information science
- फोटो : facebook
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विस्तार

अमरीका की राष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीक परिषद ने बीते साल सितंबर में साइंस ऑफ क्वान्टम इंन्फॉर्मेशन (सीआईसी) के विकास के लिए एक नई रणनीति प्रकाशित की थी। इस रणनीति पर चर्चा करने के लिए देश की बड़ी तकनीकी कंपनियों, शिक्षाविदों, अधिकारियों, वित्तीय कंपनियों को व्हाइट हाउस बुलाया गया था। इनमें एल्फाबेट, आईबीएम, जेपी मॉर्गन चेज, लॉकहीड मार्टिन, हनीवेल और नोर्थ्रोप ग्रुमैन जैसी कंपनियां भी शामिल थीं।

विज्ञान के इस क्षेत्र में 118 योजनाओं में 24.9 करोड़ डॉलर का निवेश प्रस्तावित किया गया था।वहीं दुनिया के दूसरे छोर, यानी चीन में भी इसी तर्ज़ पर कुछ हो रहा है। चीन सरकार हेफ़ेई में नेशनल लेबोरेट्री ऑफ क्वांटम इन्फ़ॉर्मेशन साइंस विकसित कर रही है।दस अरब अमरीकी डॉलर की लागत से बनने वाले इस केंद्र के 2020 में शुरू होने की उम्मीद है। 

दो साल पहले ही चीन ने पहले क्वांटम कम्यूनिकेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया था। बीते साल चीनी सरकार ने जिनान में एक गुप्त कम्यूनिकेशन नेटवर्क स्थापित करने की भी घोषणा की थी। सेना, सरकार और निजी कंपनियों से जुड़े अधिकतर 200 यूजर ही इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। 

क्वांटम इंन्फॉर्मेशन के क्षेत्र में दुनिया की दो बड़ी आर्थिक शक्तियों की प्रतिद्वंदिता ही इसके महत्व को दर्शाती है। यहां तक कहा जा रहा है कि ये तकनीक इतनी शक्तिशाली होगी कि दुनिया को बदल कर रख देगी। 

क्या है सीआईसी?
इंस्टीट्यूट ऑफ फोटेनिक साइंसेस ऑफ बार्सिलोना और थ्योरी ऑफ क्वांटम इन्फॉर्मेशन ग्रुप में शोधकर्ता एलेखांद्रो पोजास कर्सटयेंस ने क्वांटम तकनीक के बारे में समझाते कहा, "क्वांटम तकनीक सूचनाओं की प्रोसेसिंग में क्रांतिकारी बदलाव लाने का वादा करती है।"

वो कहते हैं, "सभी सूचनाएं बाइनरी सिस्टम में एनकोड होती हैं (लिखी जाती हैं)- यानी जीरो और वन में लेकिन 60 के दशक में ये पता चला कि जहां ये सूचनाएं रखी जाती हैं वो जगह भी इनके इस्तेमाल को प्रभावित कर सकती है।"

वो कहते हैं, "इसका मतलब ये है कि हम सूचनाओं को कंप्यूटर चिप पर स्टोर कर सकते हैं, जैसा कि हम आजकल कर रहे हैं, लेकिन हम उन जीरो और वन को अन्य बेहद सूक्ष्म सिस्टम में स्टोर कर सकते हैं जैसे कि एक अकेले परमाणु में या फिर छोटे-छोटे अणुओं में।"

वैज्ञानिक एलेखांद्रो पोजास कहते हैं, "ये परमाणु और अणु इतने छोटे होते हैं कि इनके व्यवहार को अन्य नियम भी निर्धारित करते हैं. ये नियम जो परमाणु और अणु के व्यवहार को तय करते हैं, ये ही क्वांटम थ्योरी या क्वांटम दुनिया के नियम हैं।" क्वांटम इन्फॉर्मेशन साइंस इन बेहद सूक्ष्म सिस्टम में दिखने वाले क्वांटम गुणों का इस्तेमाल करके सूचनाओं को ट्रांसमिट और प्रोसेस करने के काम में सुधार लाती है। 

यानी सीआईसी हमारे सूचनाओं को प्रोसेस करने के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाने का भरोसा देती है, जिससे स्वास्थ्य एवं विज्ञान, दवा निर्माण और औद्योगिक निर्माण जैसे क्षेत्रों में हज़ारों नई संभावनाएं पैदा होंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि 'क्वांटम सांइस हर चीज को बदल कर रख देगी।' यही वजह है कि दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली देश इस क्षेत्र में आगे होने के लिए प्रतिद्वंदिता कर रहे हैं। 

क्वांटम सैटेलाइट
इस क्षेत्र में अभी तक जो हुआ है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि चीन ने इस रेस में अपनी बढ़त बना ली है। साल 2016 में चीन ने दुनिया की सबसे पहली क्वांटम कम्यूनिकेशन सैटलाइट लांच करने की घोषणा की और एक साल बाद ये दावा किया कि वो इसके जरिए एनक्रिप्टेड संचार स्थापित कर सकता है जिसे दुनिया का कोई और देश नहीं पढ़ सकता। 

एलेखांद्रो पोजास समझाते हैं, "यहां दो प्रयोग किए गए थे. पहले प्रयोग में सैटेलाइट के साथ जमीन से संपर्क स्थापित किया गया और फिर उस सैटेलाइट का फायदा उठाते हुए जमीन पर मौजूद दो केंद्रों के बीच क्वांटम एनक्रिप्टेट सिग्नल से संपर्क स्थापित किया गया। इसमें सैटेलाइट ने दोनों केंद्रों के बीच रिपीटर की भूमिका निभाई।"

सूचना अपने गंतव्य तक पहुंची है या नहीं या उसे रास्ते में इंटरसेप्ट तो नहीं किया गया है, अभी इस्तेमाल किए जा रहे इंन्फॉर्मेशन ट्रांसफर के तरीकों में ये जानने की क्षमता नहीं है। हालांकि चीन के प्रयोगों ने सिर्फ इस कांसेप्ट को ही साबित नहीं किया बल्कि उसने ये भी दिखा दिया कि उसके पास ऐसा करने की क्षमता है। पोजास कहते हैं, "ये सच है कि उन्होंने ये साबित कर दिया कि ऐसा किया जा सकता है लेकिन अभी तक इसके व्यापक इस्तेमाल की क्षमता हासिल नहीं की गई है।"
 

क्वांटम कंप्यूटर
क्वांटम कंप्यूटर के क्षेत्र में अभी इस संभावना तक नहीं पहुंचा जा सका है। दुनिया के कई देशों की कई कंपनियां क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने के प्रयास कर रही हैं।प्रयोगों में ऐसे कंप्यूटर बनाए गए हैं लेकिन उन्हें अभी औद्योगिक स्तर पर बनाना संभव नहीं हो पाया है। एलेखांद्रो पोजास कहते हैं, "वास्तव में क्वांटम कंप्यूटर एक अबूझ पहेली है। सीआईसी के क्षेत्र में सभी प्रयास प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसी दिशा में हो रहे हैं।"

क्लासिकल कंप्यूटर बिट्स में काम करते हैं और इनमें सूचना जीरो और वन के रूप में प्रसारित की जाती है। दूसरी ओर क्वांटम कंप्यूटिंग भी इन्हीं दो रूपों के सुपरपोज़िशन के सिद्धांत पर काम करती है और सब-एटॉमिक पार्टिकल्स के मूवमेंट को डाटा प्रोसेस करने के लिए इस्तेमाल करती है।

आज ये तकनीक अधिकतर थ्योरी में ही है। लेकिन उम्मीद है कि किसी दिन इससे सफलतापूर्वक कैलकुलेशन की जाएंगी। जब ऐसा होगा, तब आज के कंप्यूटर पुराने जमाने के एबाकस की तरह लगेंगे।अमरीका में आईबीएम, गूगल और माइक्रोसॉफ़्ट जैसी कंपनियां अपने क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने में लगी हैं। चीन में भी अलीबाबा और बायडू जैसी कंपनियां भी क्वांटम कंप्यूटर बनाने का प्रयास कर रही हैं। 

लेकिन ये कंप्यूटर बनाना आसान नहीं है। इसमें सबसे बड़ी समस्या ये जानना है कि एक कंप्यूटर कितने क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) के जरिए काम कर सकता है।कहा जा रहा है कि अभी गूगल सबसे आगे है जो 72 क्यूबिट्स का प्रोसेसर बना रहा है। इसके अलावा इनके रखरखाव की भी समस्या होगी। इन्हें बेहद कम तापमान पर रखना पड़ेगा। फिलहाल ऐसे क्वांटम कंप्यूटर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं जो रूम टेंपरेचर पर काम कर सकें। 

क्वांटम क्रांति
लेकिन क्वांट मतकनीक भविष्य में क्या क्रांति ला सकती है? एलेख़ांद्रो पोजास कहते हैं, "ये क्रांति ऐसी ही होगी जैसी सबसे पहले कंप्यूटर के कारण शुरू हुई थी।"

"हम ऐसी नई चीजें कर पाएंगे जैसे दवाइयां बनाना या प्रोटोटाइप करना या फिर ईंधन का कम इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए रास्ते निर्धारित करना। क्वांटम कंप्यूटर इस तरह की समस्याओं को सुलझा सकेंगे।" लेकिन सरकारों की सबसे ज़्यादा दिलचस्पी रक्षा क्षेत्र में इनका इस्तेमाल करने में है। जैसे कि बेहद सुरक्षित संवाद स्थापित करना या दुश्मन के विमानों का पता लगाना। 

लेकिन क्वांटम साइंस के युद्धक्षेत्र में कौन जीत रहा है- फिलहाल ये कहना मुश्किल है। एलेखांद्रो पोजास कहते हैं, "हम कह सकते हैं कि क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में अमरीका आगे है जबकि क्वांटम कम्यूनिकेशन में चीन जीतता दिख रहा है।" "क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में कई पहलू हैं और कई देश इनमें अपने आप को अग्रणी रखने की दिशा में काम कर रहे हैं।"

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