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भारत को बात-बात पर आंख दिखाने वाला ड्रैगन भविष्य में आग भी उगलने लगे तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। चीन उस मिशन पर चल पड़ा है, जिन पर सिनेमा के पात्र भी बमुश्किल चल पाते हैं। लेकिन उसके मिशन की झलक बॉन्ड सीरीज की फिल्मों में देखी जा चुकी है। इसलिए जिनपिंग ने जो राह पकड़ी है, उसे 'मिशन जेम्स बॉन्ड' कहना गलत नहीं होगा।
आपको अंदाजा भी नहीं होगा कि समंदर की थाह में जिस कोने तक हम और आपकी कल्पनाएं भी नहीं पहुंचतीं, वहां जिनपिंग हर तरह के असलहा-बारूद से लैस सैन्य अड्डा बना रहे हैं। बतौर जिनपिंग समंदर की गहराई में अनमोल खजाने की खान है। उसे खोजने के लिए आधुनिक मशीनरी का इस्तेमाल कर लेना चाहिए।
भारत-अमेरिका समेत दुनिया भर के लिए लगातार खतरनाक हो रहा ड्रैगन दक्षिण चीन सागर में दस हजार फुट नीचे खुफिया सैन्य अड्डा बनाने की फिराक में है। सैन्य ताकत में इजाफा कर रहे चीन के बेहद खौफनाक इरादे उसके प्रोजेक्ट से पता चलते हैं।
अब तक जेम्स बॉण्ड की फिल्मों में ऐसे काल्पनिक ठिकाने दिखाई देते थे। लेकिन चीन ऐसे ठिकानों को हकीकत का जामा पहनाने जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण चीन सागर की गहराई में दबे खजाने को निकालने के लिए चीन ने कमर कसी थी, लेकिन अब उसके इरादे इससे भी आगे जा पहुंचे हैं। चीन को इस बात का डर भी है कि समंदर के बीचों बीच खुफिया सैन्य ठिकाना समंदर के थपेड़े झेल भी पाएगा या नहीं?
समंदर में सैन्य ठिकाना बनाने के इस प्रोजेक्ट पर मार्च 2016 में बात हुई थी। चीन ने 100 विज्ञान और प्रोद्योगिकी परियोजनाओं को अमल में लाने की बात कही थी। उस वक्त उसकी सूची में समंदर की गहराई में सैन्य अड्डा दूसरे नंबर पर था। लेकिन बाद में पता चला कि वह तो ड्रैगन की प्राथमिकता में है। चीन ने उन 100 प्रोजेक्टों को अपनी पंचवर्षीय योजना में शामिल किया था।
चीन का विज्ञान मंत्रालय इन महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को गति दे रहा है। प्रोजेक्ट के खर्च के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन इतना जरूर है कि प्रोजेक्ट में अरबों का खर्च किया जाएगा।
वॉशिंगटन स्ट्रेटजिक और बजेटरी असेसमेंट की जिम्मेदारी संभालने वाले ब्रायन क्लार्क ने बता चुके हैं कि इस तरह का सैन्य ठिकाना अब तक नहीं बना है, लेकिन इसे बनाना निश्चित तौर पर संभव है। आदमी वाली पनडुब्बियां पचास वर्षों से उस गहराई में जा रही हैं। चुनौती इस बात की है कि बिना रुके महीनों तक अनवरत काम करना होगा।
चीन के राष्ट्रपति ने कुछ महीनों पहले साइंस कॉन्फ्रेंस में इस बात के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि समंदर की गहराई में काफी खजाना है। उस खजाने की खातिर हमें अपनी तकनीकी पर और काम करना होगा। हमें समंदर की गहराई से वो खजाना निकलाना होगा।
पूरे दक्षिण चीन सागर में चीन अपना अधिकार थोपता है, जबकि ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताईवान और वियतनाम भी दक्षिण चीन सागर में अपनी हिस्सेदारी जता चुके हैं। समंदर के इस हिस्से से जहाजों के जरिए अरबों डॉलर का व्यापार हर साल होता है।
दक्षिण चीन सागर में चीन के मंसूबों पर अमेरिका एतराज जता चुका है, वह लगातार चीन की गतिविधियों पर निगरानी रखता है।
जापान और चीन के बीच भी समंदर के इस इलाके को लेकर अधिकार जताने के दावे किए जाते हैं। जाहिर है चीन के मंसूबे और दक्षिण चीन सागर में उसकी गतिविधियां सैन्य संघर्ष की चुनौतियों से भरी दिख रही हैं।