विस्तार
कोई आपसे पूछे आसमान में कितने चांद होते हैं? तो शायद आप झट से कह देंगे कि चांद तो एक ही होता है, लेकिन अब आप आसमान में एक नहीं तीन-तीन चांद देख सकेंगे। दरअसल, चीन विज्ञान के क्षेत्र में ऐसा कुछ करने जा रहा है जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
चीन अब अपने आसमान में तीन चांद लगाने वाला है। वो भी इसलिए कि सड़कों को रोशन किया जा सके, चीन इससे अंतरिक्ष में बड़ी ऊंचाई पर पहुंचने की तैयारी में है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 तक चीन अंतरिक्ष में तीन चांद लॉन्च करेगा। दरअसल, ये चांद के आकार में शीशे से बने उपग्रह होंगे जिनसे टकराकर सूर्य की किरणें धरती पर रोशनी पहुंचाएंगी। तियांफू सिस्टम साइंस रिसर्च इंस्टिट्यूट के हेड वू चुनफेंग ने कहा कि इनकी रोशनी इतनी होगी कि स्ट्रीट लाइट्स की जरूरत नहीं पड़ेगी। तो भैया अब स्ट्रीट लाइट की छुट्टी...।
सूर्य की किरणें 3600 वर्ग किलोमीटर से 6400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर कर सकेंगी और इसकी रोशनी चंद्रमा की रोशनी से 8 गुना अधिक होने की संभावना है। वू ने बताया कि इस आर्टिफीशियल चांद से करीब 1.2 बिलियन यूआन की बिजली बचेगी। यही नहीं बताया जा रहा है कि इन तीनों नकली चांद की रोशनी की तीव्रता को घटाया या बढ़ाया भी किया जा सकेगा और समय के मुताबिक नियंत्रित भी किया जा सकेगा।
आर्टिफिशियल चांद को लेकर लोगों में कुछ चिंताएं भी हैं। उनका कहना है कि रोशनी से जानवरों पर बुरा असर पड़ेगा। साथ ही खगोलीय घटनाओं को देखने में परेशानी होगी। हर्बिन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर कांग वीमिन ने बताया- आर्टिफिशियल मून एकदम चमकदार नहीं होगा। यह धुंधली सी रोशनी देगा। कहा जा रहा है कि जब कृत्रिम चांद चक्कर लगा रहा होगा तो लोगों को केवल एक चमकदार तारा आकाश में दिखाई देगा।
यह पहली बार नहीं है कि जब इंसान ने रोशनी देने वाले किसी ऑब्जेक्ट को आकाश में भेजा हो, ऐसी योजनाएं नाकाम साबित हुई हैं। चीन के अलावा रूस भी ये कोशिश कर चुका है। 90 के दशक में रूस ने काफी कोशिश की थी, लेकिन वो प्रोजेक्ट फेल हो गया था। सबसे आखिरी कोशिश 14 जुलाई 2017 को रूस ने कजाकिस्तान के बैकोनुर स्पेसपोर्ट से अंतरिक्ष में सोयूज रॉकेट से एक ऑब्जेक्ट भेजा था। इस ऑब्जेक्ट को चांद के बाद सबसे चमकदार माना गया था। एक महीने बाद ही प्रोजेक्ट से जुड़ी टीम ने बताया कि वह कक्षा में स्थापित होने में विफल रहा। अब चीन ऐसा करने जा रहा है, देखना होगा कि चीन इसमें सफल हो पाता है या नहीं।