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क्या आप पहले से ही हंस रहे हैं? नहीं? तो अब हंस लीजिए। कोर्ट आज तक ये निश्चित नहीं कर पाया कि सलमान गाड़ी चला रहे थे या उनका ड्राईवर लेकिन कोर्ट ने चप्पल और सैंडल में डिफरेंस बता दिया। जी हां.. हाईकोर्ट ने चप्पल और सैंडल में अंतर स्पष्ट कर दिया है।
दरअसल यह मामला एक केस से जुड़ा है। इसके मुताबिक चेन्नई बेस्ड फुटवियर मैन्युफैक्चरर कंपनी Wishall International ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि उनकी कंपनी सैंडल बनाती है। इस हिसाब से उन्हें भी कस्टम ड्यूटी पर 10 प्रतिशत की छूट मिलनी चाहिए।
आपको ये शायद न पता हो कि भारतीय कस्टम ड्यूटी के हिसाब से सैंडल पर 10 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी की छूट और चप्पल पर 5 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी की छुट्टी मिलती है। ऐसे में उन्हें भी 10 प्रतिशत की छूट मिलना चाहिए क्योंकि उनकी कंपनी सैंडल बनाती है।
all International का कहना है कि वुमेन फुटवेयर जिसमें पीछे स्ट्रैप (पट्टे) न हो वो चप्पल है, सैंडल नहीं। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया कि वुमेन फुटवेयर जिसमें पीछे स्ट्रेैप न हो वो भी सैंडल है चप्पल नहीं। चेन्नई बेस्ड फुटवियर मैन्युफैक्चरर कंपनी Wish
अब ट्विटर वालों की बकैती सुनिए..
टीशर्ट जिसमें स्लीव नहीं वो बनियान है..
बिरयानी जिसमें चिकेन नहीं, वो पुलाव है..
कल ही तो नयी चप्पल ली आज ये सैंडल बन गया..
चप्पल की मौत प्रकृतिक कारणों से हुई है..
अब हम क्या करें, सोच रहे थे स्लीपर लेने के लिए, लें या न ले..
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The Hindu