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'राजनीति' की बात करें तो हमारे ज़हन में एक ऐसे पेशे की छवि उभरती है जिसमें लगे लोग समय के मुताबिक़ अपने दोस्तों को दुश्मनों और दुश्मनों को दोस्तों में बदल सकते हैं। ऐसे लोग जो सत्ता के लिए तमाम समझौते कर सकते हों और व्यक्तियों और घटनाओं को अपने हित में इस्तेमाल करना जानते हों।
अगर ध्यान से देखें तो सत्ता को लेकर ऐसी आसक्ति चिंपैंज़ियों के समुदाय में भी देखने को मिलती है। ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफ़ेसर जेम्स टिली ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि चिंपैंज़ी समूहों के अंदर चलने वाले शक्ति संघर्ष से राजनीति के बारे में क्या सीखा जा सकता है।
1. दोस्त पास रखो लेकिन दुश्मन क़रीब रखो
चिंपैंज़ियों के बीच राजनीति की बात करें तो इस प्रजाति में निष्ठाएं बदलने का सिलसिला लगातार चलता है। किसी भी समूह में अहमियत हासिल करने के लिए चिंपैंज़ियों को हमेशा अपने दोस्तों के ख़िलाफ़ जाने और दुश्मनों से मेलजोल करने के लिए तैयार रहना होता है।इनमें से ज़्यादातर संबंध दोस्ती की जगह फायदे की वजह से होते हैं।
2. संबंध बनाने हों तो कमजोर को चुनें
चिंपैंज़ियों में बराबरी के स्तर पर गठबंधन होते देखे जाते हैं। इसका मतलब ये होता है कि दो कमजोर चिंपैंज़ी एक मजबूत चिंपैंज़ी के ख़िलाफ़ संघर्ष करेंगे।
इनमें ऐसा नहीं होता है कि कोई कमजोर चिंपैंज़ी किसी मजबूत चिंपैंज़ी के साथ गठबंधन करे। ये एक तार्किक बात भी लगती है क्योंकि अगर हम किसी कमजोर के साथ गठबंधन करेंगे तो अपने साथी के साथ मिलकर हासिल किए गए सामान पर हमें ज़्यादा हक़ मिलने की संभावना रहती है। वहीं, अगर दूसरा व्यक्ति मजबूत है तो हमारा हक़ कम होने की संभावना रहती है।
3. बेहतर है कि लोग डरें लेकिन...
चिंपैंज़ियों के नेता काफ़ी डराने वाले और अपनी ताकत के दम पर राज करने वाले हो सकते हैं। लेकिन ऐसे नेता ज़्यादा दिन तक चलते नहीं हैं। एक सफल नेता होने के लिए आपको अपने लिए समर्थन जुटाना होगा और जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी। इसके लिए नेता को सहृदय और दृढ़ होना चाहिए।
4. सुविधा दो और राज करो
इतिहास को देखें तो वो नेता सबसे ज़्यादा लंबे समय तक कुर्सी पर रहते हैं जिन्होंने लोगों के बीच संसाधन बांटकर समर्थन हासिल किया था। बीबीसी रेडियो के एक कार्यक्रम में एक ऐसे चिंपैंज़ी के बारे में जानकारी दी गई थी जिसने 12 साल तक झोपड़ियों से मांस उठाकर बांटा और इस तरह राज किया।
5. बाहरी ख़तरे बढ़ा सकते हैं समर्थन
चिंपैंज़ियों पर अध्ययन में ये जानकारी भी सामने आई कि अगर समूह पर बाहरी ख़तरा आता है तो चिंपैंज़ी समुदाय आपसी झगड़े भूलकर और एकजुट होकर ख़तरे का सामना करता है। दिलचस्प बात ये है कि इंसानों की दुनिया में ऐसी चीज कोई असर नहीं डालती है। हालांकि, 9/11 के बाद पूरी दुनिया का एकजुट होना एक अपवाद हो सकता है।