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Four Hundred Year Old Curse On Wadiyar Dynasty
इस राजवंश में एक श्राप के चलते 400 सालों से पैदा नहीं होता वारिस!
Updated Wed, 29 Jun 2016 02:37 PM IST
Mysore-Palace-Golden-Throne
विस्तार
श्राप और शापित जैसे शब्द आपको अपने इंडिया में ही ज्यादा सुनने को मिलते हैं, लेकिन ये सब घटित भी तो यहीं होता है ज़नाब। अब सुनने में यह फ़िल्मी ज़रूर लग सकता है, लेकिन आपको बता दें कर्नाटक के मैसूर राजवंश में पिछले 400 सालों से कोई बेटा पैदा नहीं हुआ है और इसका कारण बताया जाता है एक रानी का इस राजवंश को दिया गया श्राप ...हां भई आज के कंप्यूटर वाले ज़माने में इसपे यकीं करना थोड़ा मुश्किल ज़रूर है, लेकिन सच्चाई को कौन झुठला सकता है दोस्त। आइए जानते हैं क्या है ये श्राप की पूरी कहानी
ये कहानी है एक श्राप की
...डरावनी नहीं है, सुन लो। एक श्राप 400 सालों से मैसूर के वाडियार राजवंश का पीछा कर रहा है। दरअसल 400 सालों से इस राजवंश का राजा दत्तक पुत्र ही बन रहा है, दतक माने कि गोद लिया हुआ। यानी राजा-रानी को अपना वारिस चुनने के लिए किसी को गोद लेना पड़ता है, क्योंकि रानी ने कभी बेटों को जन्म दिया ही नहीं, सबका मानना है कि इसके पिछे वही श्राप है।
वाडियार राजवंश के 600 सालों के इतिहास
मैसूर पैलेस भले ही 1912 में बनकर तैयार हुआ, लेकिन ये पैलेस वाडियार राजवंश के 600 सालों के इतिहास को बयां करता आ रहा है। मैसूर राजघराने पर राज करने वाले वाडियार राजवंश का इतिहास शुरू होता है सन् 1399 से। यानी मैसूर राजवंश भारत में अब तक सबसे ज्यादा लंबे वक्त तक राजशाही परंपरा को निभाने वाला वंश है।
1612 के बाद से इस राजवंश में पुत्र पैदा नहीं हुआ
लेकिन जो बात सबको हैरान किए हुए है वो ये है कि पिछले 5 सदियों से इस राजवंश को चलाने वाले महारानी की कोख से जन्म ही नहीं लेते। सन् 1612 के बाद से इस राजवंश के राजा-रानी को कोई पुत्र पैदा नहीं हुआ। हर बार दत्तक पुत्र को ही राजा बनाया जाता है। मैसूर राजघराने के मौजूदा राजा यदुवीर वाडियार को भी गोद ही लिया गया है (हां वही जिनकी हाल ही में शादी हुई है..राजशाही तरीके से)। महारानी प्रमोदा देवी ने अपने पति श्रीकांतदत्त नरसिम्हराज वाडियार की बड़ी बहन के बेटे यदुवीर को गोद लेकर उसे राजा घोषित किया।
एक श्राप इस राजघराने का पीछा कर रहा है
सुनने में तो आता है कि पिछले चार सौ सालों से एक श्राप इस राजघराने का पीछा कर रहा है। मैसूर राजघराने को लेकर मान्यता है कि 1612 में दक्षिण के सबसे शक्तिशाली विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद वाडियार राजा के आदेश पर विजयनगर की धन संपत्ति लूटी गई थी।
महारानी अलमेलम्मा
उस समय विजयनगर की तत्कालीन महारानी अलमेलम्मा हार के बाद एकांतवास में थीं। लेकिन उनके पास काफी सोने, चांदी और हीरे-जवाहरात थे। वाडियार ने महारानी के पास दूत भेजा कि उनके गहने अब वाडियार साम्राज्य की शाही संपत्ति का हिस्सा हैं, इसलिए उन्हें दे दें। लेकिन अलमेलम्मा ने गहने देने से इनकार कर दिया। इसके बाद शाही फौज ने ज़बरदस्ती ख़ज़ाने पर कब्जा करने की कोशिश की।
इससे दुखी होकर महारानी अलमेलम्मा ने श्राप दिया कि जिस तरह तुम लोगों ने मेरा घर ऊजाड़ा है उसी तरह तुम्हारा देश वीरान हो जाए। इस वंश के राजा-रानी की गोद हमेशा सूनी रहे। इसके बाद अलमेलम्मा ने कावेरी नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली ...है न पूरी फिल्मी कहानी, लेकिन सत्य है।
परंपरा आगे बढ़ाने के लिए दतक पुत्र
तब से अब तक लगभग 400 सालों से वाडियार राजवंश में किसी भी राजा को संतान के तौर पर पुत्र नहीं हुआ। राज परंपरा आगे बढ़ाने के लिए राजा-रानी 400 सालों से परिवार के किसी दूसरे सदस्य के पुत्र को गोद लेते आए हैं।
वैसे तो देश में राजशाही परंपरा खत्म हो चुकी है, लेकिन अभी भी राजवंशों में उसी परंपरा का पालन किया जाता है, जो सदियों से चली आ रही है। इसी परंपरा के तहत पहले यदुवीर को गोद लिया गया, और फिर परंपरा के मुताबिक एक राजपरिवार में उनकी शादी की गई।
राजपरिवार के पास 10 हजार करोड़ की संपत्ति
एक अनुमान के मुताबिक मैसूर राजपरिवार के पास 10 हजार करोड़ की संपत्ति है। भले ही राजशाही खत्म हो गई है, लेकिन इस महल को देखकर आप रजवाड़ों के वैभव का अंदाज़ा लगा सकते हैं। राजा का शासन खत्म हो गया है, लेकिन अब भी खास मौकों पर यहां राजा का दरबार सजता है। हालांकि यदुवीर और तृषिका (डुंगरपूर की राजकुमारी) की शादी के लिए अंबा विलास पैलेस में ही हुई।
उम्मीद पर तो दुनिया कायम है मेरे दोस्त, शायद इसबार यदुवीर और तृषिका को अपना उतराधिकारी मिल जाए
Source: Daily Mail
नोट - यह सभी तस्वीरें काल्पनिक हैं।
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