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किस देश को सबसे अमीर देश कहा जा सकता है? आप कहेंगे कि सीधी सी बात है, जिस देश में सबसे ज्यादा पैसा है वो देश सबसे अमीर कहलाएगा। लेकिन इस सवाल का जवाब इतना सीधा नहीं है। सबसे अमीर देशों की सूची बनाने के लिए कई दूसरे रास्ते अपनाए जाते हैं। जैसे कि जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की तुलना करना। जीडीपी का मतलब होता है कि कोई अर्थव्यवस्था हर साल कुल कितने सामान और सेवा का उत्पादन करती है।
अगर आप आकार के हिसाब से देखेंगे तो विश्व बैंक के मुताबिक अमरीका और चीन सबसे बडी अर्थव्यवस्थाएं हैं। और अब अगर हम उस धन का वहां रहने वाले लोगों की संख्या से भाग करें (जिसे जीडीपी पर कैपिटा कहा जाता है), तो सबसे अमीर देश लक्सजमबर्ग, स्विट्जरलैंड और मकाओ होंगे।
हालांकि ऊपर कही गई सारी बातें ठीक हैं, लेकिन कई अर्थशास्त्री अर्थव्यवस्था की सेहत को जांचकर उसके अमीर होने का पता लगते हैं। इसके लिए वो देखते हैं कि किसी देश के लोगों की खरीददारी की क्षमता क्या है। साथ ही वो ये भी समझने की कोशिश करते हैं उस देश के अलग-अलग नागरिकों की खरीददारी की क्षमता में कितनी समानता है।
इस तरीके के हिसाब से कतर, मकाओ, लक्सजमबर्ग के बाद सिंगापुर, ब्रुनई और कुवैत सबसे अमीर देश हैं। इन देशों के बाद सूची में संयुक्त अरब अमीरात, नॉर्वे, आयरलैंड और स्विट्जरलैंड का नाम आता है। तेल और प्रकृतिक गैस के विशाल भंडार वाला देश कतर अमीर देशों की सूची में सबसे ऊपर है। बीते कई सालों से कतर ने अमीर देशों की सूची में पहला पायदान कायम रखा है। हालांकि 2013 और 2014 में मकाओ कतर से आगे निकल गया था। लेकिन 2015 में दोबारा वो दूसरे पायदान पर लौट आया।
मकाओ की अर्थव्यवस्था (चीन के दक्षिणी तट पर बसा एक स्वायत्त क्षेत्र) मुख्य रूप से पर्यटन और कैसिनो उद्योग पर निर्भर है। वहीं यूरोपीय देश लक्सजमबर्ग का आर्थिक विकास निवेश के प्रबंधन और प्राइवेट बैंकों के फायदे से हुआ है। लक्सजमबर्ग की टैक्स व्यवस्था खासी सुस्त है इस वजह से यहां का बैंक बहुत मुनाफा कमा रहे हैं।
'गिनी कोएफिशिएं' अमीरी और गरीबी के बीच की खाई को मापने का एक तरीका है। इसका पैमाना जीरो से एक के बीच होता है। इसमें जीरो का मतलब है पूरी तरह से असमान। हालांकि इस तरीके की आलोचना भी की जाती है। विश्व बैंक के आंकडों के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका, हैथी और होंडुरास दुनिया के सबसे असमान देशों की सूची में शामिल हैं।