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भारत कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहा है। इंडियन रेलवे नई-नई तरह की ट्रेनें ला रहा है जिससे एक जगह से दूसरी जगह जाने के समय को कम किया जा सके। ये तो हो गई उन प्लान्स की बात जो 2-3 सालों में तैयार हो जाएंगे। लेकिन इसके अलावा आगे भविष्य के साधनों पर भी काम करने के लिए तत्पर है।
अभी अगर आप दिल्ली से मुंबई प्लेन से जाएं तो आपको 2 घंटे के करीब लगेंगे लेकिन आने वाले समय में इस दूरी को केवल 70 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। सुनकर ऐसा नहीं लगता जैसे ये डेली अप-डाउन करने वाले यात्रियों के लिए शुरू की जा रही कोई सेवा हो? लेकिन दिल्ली से मुंबई भला कौन रोज़ आता-जाता होगा? लेकिन आने वाले समय में ऐसा संभव होगा।
टेस्ला मोटर्स एलोन मस्क एक फ़्यूचरिस्टिक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है जिसमें भारत भी उसका साथ देना चाहता है। हाइपरलूप भविष्य में एक जगह से दूसरी जगह बेहद कम समय में आने-जाने का एक नया ज़रिया हो सकता है। ये कंपनी भारत से निवेश चाहती है। कंपनी के सीईओ का कहना है कि भारत उनके लिए एक ऐसी जगह है जहां से उन्हें सबसे ज़्यादा संख्या में इन्वेस्टर मिल सकते हैं।
वो भारत सरकार से इस मुद्दे पर बात-चीत कर रहे हैं। हाइपरलूप रेलवे का ही एक विकल्प होगा जिसमें लोगों या किसी ख़ास चीज़ को एक स्पॉट से दूसरे स्पॉट तक स्टील ट्यूब्स में बेहद कम दबाव में भेजा जा सकेगा। एक बार जब ये पूरी तरह से काम करने लगेगा तो ये ट्रेवल टाइम को बेहद कम कर देगा।
इसके माध्यम से लोग दिल्ली से मुंबई 70 मिनट और मुंबई से चेन्नई 60 मिनट में पहुंच सकते हैं। एक पॉड 1,080 किमी/प्रति घंटे की रफ़्तार से सफ़र कर सकता है। इसमें 24 लक्ज़री, 50 बिज़नेस क्लास और 80-90 इकोनॉमिक सीटें हो सकती हैं।
10-10 सेकंड के अंतर पर चलने वाले ये पॉड एक बार में एक दिशा में करीब 20000 लोगों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा सकते हैं। कंपनी लोगों और सामान के लिए हाइपरलूप के अलग-अलग मॉडल तैयार कर रही है।
इस मार्च में यूएस के नेवाडा में इसका पहला परीक्षण होगा। इस कंपनी ने पूरी दुनिया में करीब 7 प्रोजेक्ट साइन किये हैं जिसमें से एक कॉरीडोर दुबई से आबू धाबी को जोड़ेगा। इसका पहला कमर्शियल प्रोजेक्ट 2020 तक पूरा हो जाएगा जिसमें करीब $160 मिलियन का ख़र्च आएगा।
तो दोस्तों आप तैयार हैं एक ट्यूब में सफ़र करने के लिए? कुछ चंदा आप भी लगा दीजिए फ़ाएदा आपको ही होगा!