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आज सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले ज्यादातर छात्रों का सपना होता है कि एवन क्लास के अधिकारी की नौकरी होगी। लोग जी हजूरी करेंगे। अच्छा पैसा बनेगा। लेकिन सिविल की नौकरी का सही मतलब क्या होता है, यह करीब 2 महीने की नौकरी में ट्रेनी आईएएस अफसर राजा गणपति आर ने बताया। यही वजह है कि इस अधिकारी के तबादले की खबर जब लोगों को लगी तो वे इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आए। ऐसा फिल्मों में देखा जाता है जब हीरो के समर्थन में लोग जुट जाते हैं।
लोगों की भावनाएं देख प्रशासन ने राजा गणपति आर के तबादले का आर्डर वापस ले लिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजा गणपति 2015 बैच के आईएएस अधिकारी है। उन्होंने पहली दफा में ही यूपीएससी परीक्षा पास कर ली थी। राजा चेन्नई से एमबीबीएस भी कर चुके हैं।
नवंबर 2017 में राजा की पोस्टिंग इलाहाबाद के करछना तहसील में हुई थी। राजा के काम करने के तरीके से जनता में उनकी इमेज बहुत शानदार बनी। उन्होंने अवैध खनन और बालू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की। कई जमीन घोटालों का पर्दाफाश किया। लेकिन राजा सुर्खियों में तब आ गए जब उन्होंने दीवारों पर पान-गुटखा थूकने के खिलाफ मुहिम चलाई।
राजा के ट्रांसफर मामले पर जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कहा कि यह प्रशासनिक प्रक्रिया है, लेकिन जनता की भावनाओं का ख्याल रखते हुए राजा ट्रांसफर रोकना पड़ा। देश को आज राजा जैसे ही अधिकारियों की जरूरत है, जिनके लिए जनता अपना प्यार उड़ेल दे। आप क्या कहते हैं।
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