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तकनीक काफी आगे निकल चुकी है। जो आप सोच नहीं सकते, वैसा असल जिंदगी में हो सकता है। विज्ञान आखिरी आस तक प्रयास करता है, कई बार ये असफल हो जाते हैं तो कई बार सफल। पुणे की श्रेया की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। एक हादसे में श्रेया ने अपने दोनों हाथ खो दिए, वो जिंदा तो बच गई लेकिन जिंदा रहने की आस मर रही थी, बिन हाथों के जिंदगी बेझिल हो रही थी। तभी डॉक्टरों ने एक कोशिश की और श्रेया की जिंदगी पटरी पर लौटती हुई दिखाई दी।
श्रेया एशिया की पहली ऐसी पेशेंट हैं जिसके हाथ ट्रांसप्लांट किए गए। एशिया में पहली बार किसी के कोहनी के नीचे के हिस्से को ट्रांस्प्लांट करके बदला गया। डॉक्टरों का कहना है कि श्रेया डेढ़ साल बाद बिल्कुल सामान्य जिंदगी जीने लगेगी।
श्रेया के हाथों को साथ मिला सचिन के हाथ का। सचिन नाम के डोनर की मौत के बाद डॉक्टरों की एक टीम ने (जिसमें 20 सर्जन और 16 एनिस्थिस्ट शामिल थे) 13 घंटों के लंबे ऑपरेशन के बाद श्रेया के हाथ जोड़े। नए हाथ पाकर श्रेया बहुत खुश हैं, वो कहती हैं कि मैं जीवन भर अपाहिज रहने का सोच कर भी डर जाती थी। आज सचिन (डोनर) और डॉक्टरों की मदद से अपने भविष्य को देख पा रही हूं।