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आज महिलाएं हर वो काम कर रही हैं जिनमें पहले केवल पुरुषों को ही सक्षम माना जाता था। चाहे कैब चलाने की बात हो या ट्रक, विज्ञान हो या कला महिलाएं हर क्षेत्र में अपना झंडा गाड़ रही हैं।
ये तो ऐसे काम हो गए जो ज़मीन पर रहकर किए जाते हैं। अब महिलाएं हवा से बातें करने को भी तैयार हैं। हम बात कर रहे हैं महिला पायलट्स की। अब लड़कियां सिर्फ़ एयर होस्टेस तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि खुद पायलट सीट पर बैठ रही हैं।
भावना बिहार के बेगूसराय की रहने वाली हैं। बचपन से ही भावना पायलट बनना चाहती थीं लेकिन उन्होंने कभी एक फाइटर पायलट बनने का सपना नहीं देखा था। लेकिन उनका ये सपना सच हो गया है। भावना का चयन आईएएफ़ में हो गया था और वो जल्द ही एक फाइटर पायलट होंगी।
अवनि चतुर्वेदी भी उन तीन लड़कियों में शामिल हैं जिनका चयन हैदराबाद की एयर फ़ोर्स अकादमी में हो गया है। आम लड़कियों से अलग वो बचपन से ही चॉपर से खेला करती थीं और बचपन में कल्पना चावला की तरह बनना चाहती थीं। अब अवनि भी एक फाइटर पायलट बनेंगी। इनकी मां को इनपर बहुत गर्व है।
मोहना सिंह राजस्थान के झुंझनु की रहने वाली हैं और ये अपनी दो बैचमेट्स के साथ एयर फ़ोर्स अकादमी में चयनित हुई थीं। ये भी एक फाइटर पायलट बनेंगी। मोहना ने जिस संस्थान से इंजीनियरिंग की थी उसके चेयरमैन ने उनसे कहा कि तुम एक बेहद सशक्त लड़की हो और हमारे लिए कल्पना चावला की तरह हो।
एयर इंडिया की पायलट हैं। इन्होंने हाल ही में एक नया रिकॉर्ड बनाया है। ये एक ऐसे विमान की कमांडर भी थीं जिसकी सारी क्रू मेंबर्स महिलाएं ही थीं। इस विमान ने 30 हज़ार किलोमीटर की दूरी तय की और तीन मार्च को दिल्ली पहुंची। सुनीता 22 साल से विमान उड़ा रही हैं। सुनीता ये रिकॉर्ड बनाकर काफ़ी खुश हैं और कहती हैं कि ये महिला सशक्तिकरण को दिखाता है।
सरला ठकराल भारत की पहली महिला पायलट थीं। इनका जन्म 1914 में हुआ था और जब इन्हें एविएशन पायलट लाइसेंस मिला तो उनकी उम्र केवल 21 साल थी। इन्होंने जिप्सी मोथ सोलो उड़ाया था। उस समय इनकी एक 4 साल की लड़की भी थी।