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तुर्की में 1000 साल पुराने चर्च को तोड़कर मस्जिद बना दी गई थी, जानते हैं फिर क्या हुआ था
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Updated Thu, 29 Nov 2018 06:03 PM IST
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hagia sophia
- फोटो : Wikipedia
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विस्तार
मंदिर-मस्जिद के तनाव को हम हिंदुस्तानियों से बेहतर कौन समझ सकता है। जमीन के एक टुकड़े पर दो धर्म एक साथ एडजस्ट नहीं हो पा रहे हैं। कारण सिर्फ और सिर्फ राजनैतिक है। इसका सच्चाई से कोई नाता नहीं है। खैर, ये सब ज्ञान की बातें इसलिए की जा रही हैं क्योंकि तुर्की में अपने देश जैसा एक मामला सामने आया है।
तुर्की के इस्तांबुल में एक इमारत हैं जिसका नाम है हागिया सोफिया। गगन चुंबी गुंबदों और मीनारों से घिरी इस इमारत को देश का 8वां अजूबा बाने जाने की बात चल रही है। जानकर हैरानी होगी कि 1000 साल पहले यह इमारत एक चर्च हुआ करती थी। जिसे तोड़कर मस्जिद बना दिया गया था। मजे की बात ये है कि अब इस इमारत को म्यूजियम बनाया जा चुका है।
यानी की अब हर धर्म के लोग इस इमारत में आते हैं। वो बिना किसी डर के। पौराणिक कथाओं के अनुसार हागिया सोफिया का निर्माण 532 ई. में शुरू हुआ था। रोमन सम्राट जस्टिनियन ने एक शानदार चर्च के निर्माण का आदेश देते हुए कहा था कि ऐसा चर्च बनाओ जो आज तक न बना हो और न ही कभी दोबारा बनाया जा सके। फिर क्या था, सारे कारीगर और एक्सपर्ट जुट गए। 150 टन सोने का इस्तेमाल करके बना दी गई शानदार इमारत। इसका नाम दिया हागिया सोफिया यानी 'पवित्र ज्ञान' का नाम दिया गया है। तब से इमारत को रोमन सम्राज्य का आधिकारिक चर्च बन गया।
बिजातिंन वंश के सभी राजाओं का राज्याभिषेक इसी चर्च में हुआ था। समय का पहिया ऐसा चला कि 15वीं शताब्दी आते-आते बिजांतिन शासन खत्म हो गया।
ओटोमान साम्राज्य के सुल्तान मेहमत द्वितीय ने शहर पर कब्जा कर लिया और हागिया सोफिया को एक मस्जिद में तब्दील कर दिया। इन्होंने विशाल गुंबद से क्रॉस को उतारकर चांद टांग दिया। दीवारों और संगमरमर पर बनी जीसस की आकृतियों को रंग दिया गया। लेकिन समय ने फिर पलटी मारी।
चर्च के कुछ हिस्से ऐसे थे जहां चाहकर भी आकृतियों को मिटा नहीं पाए। छत और गुंबद के कई हिस्से एसे हैं। जहां जीसस की पेंटिंग्स को लगाया गया था वहां इस्लामिक अराध्यों की तस्वीरें लगा दी गईं। लेकिन समय का पहिया फिर घूमा।
साल 1923 में तुर्की में सांस्कृतिक क्रांति आई। देश धर्मनिरपेक्षता के रास्ते पर चलने लगा। मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने तय किया देश के बदलते माहौल के हिसाब से हागिया सोफिया को म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया। 1934 से यह म्यूजियम बना हुआ है। धर्म की लड़ाई के लिए यह इमारत मिसाल है।
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