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ये है एशिया का सबसे साफ सुथरा गांव...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वच्छता को लेकर काफी जोर देते हैं, पद संभालने के बाद से ही उन्होंने इसको लेकर लगातार मुहिम भी चलाई हुई है। इसी का असर है कि देश में स्वच्छता को लेकर एक अलग ही अलख सी जगी हुई है, लेकिन देश का एक गांव ऐसा भी है जो मोदी के आने से पहले ही अपनी साफ सफाई और खूबसूरती को लेकर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। ये गांव के लोगों की ही मेहनत है कि इस गांव को भारत ही नहीं एशिया के भी सबसे साफ सुथरे गांव होने का तमगा मिला हुआ है। तो चलिए हम आपको उस गांव के बारे में बताते हैं जिसे कुदरत ने तो बेपनाह खूबसूरती बख्शी ही है यहां रहने वाले लोगों ने भी उसे बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
ये गांव है पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय का मावलीनॉन्ग गांव, जहां साफ सफाई को लेकर लोगों में इस कदर जागरूकता है कि पहली नजर में तो आप यकीन ही नहीं कर पाएंगे कि भारत में ही कहीं हैं या किसी विदेशी जगह पर।
पूरे गांव में आपको कहीं भी कूड़ा पड़ा हुआ नहीं दिखाई देगा। यहां तक की पेड़ से टूट कर गिरी पत्तियों को भी इकट्ठा कर डस्टबिन में डाल दिया जाता है। पूरे गांव में जगह जगह डस्टबिन लगे दिख जाएंगे।
गांव के लोग इस कदर स्वागत सत्कार वाले हैं की कोई यहां घूमने आता है तो उसे अपने घर में ही जगह देते हैं। गांव की इन्हीं तमाम खूबियों के चलते यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में घोषित कर दिया था।
गांव के लोग अपने घरों को तो साफ सुथरा रखते ही हैं वह पूरी ईमानदारी से सड़कों की भी साफ सफाई करते हैं। उनके किनारों पर जगह जगह खुद ही पेड़ लगाते हैं।
गांव में रहने वाले लोग अधिकतर खासी जनजाति के हैं। इसकी खास बात ये है कि यहां बच्चे अपनी मां का सरनेम लगाते हैं, और मां की मौत के बाद संपत्ति की हकदार उसकी बेटी होती है बेटे नहीं।
साल 2007 में गांव को पूरी तरह खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया था। आज हर घर में टॉयलेट है और गांव की साक्षरता दर भी पूरे 100 फीसदी है।
गांव प्राकृतिक रूप से भी बहुत ज्यादा समृद्ध है, यहां एक प्राकृतिक झरना है और एक बर्ड व्यू प्वाइंट भी है। 85 फीट ऊंचे इस प्वाइंट से सुदूर बांग्लादेश की सीमा भी साफ दिखाई देती है। गांव की खासियत 100 साल पुराना एक चर्च भी है, जिसे देखने दूर दूर से लोग आते हैं।
गांव की व्यवस्था को बरकरार रखा जा सके इसके लिए गांव में प्रवेश के लिए 10 रुपये का नाममात्र शुल्क भी रखा गया है। इसके अलावा एक बड़ी खासियत ये भी है कि गांव में जो भी भोजन लोग करते हैं वो पूरी तरह गांव में ही उगाया जाता है।