विस्तार
48 साल तक सफलतापूर्वक एक दूसरे के साथ जीवन गुजारने के बाद राजस्थान के एक 80 वर्षीय बुजुर्ग ने अपनी 76 साल की लिव इन पार्टनर के साथ शादी रचाने का फैसला किया। बुजुर्ग की इस पहल पर उनके घरवालों ने भी पूरा साथ दिया और पूरे धूमधाम के साथ दंपत्ति का विवाह रचाया गया। खास बात ये है कि बुजुर्ग पहले से ही शादीशुदा थे लेकिन उनकी मोहब्बत कोई और थी और उसे पाने के लिए ही उन्होंने समाज और परंपरा की तमाम बेड़ियां तोड़ डाली। अब आपको बताते हैं उन बुजुर्ग के बारे में।
राजस्थान के उदयपुर जिले के झाडोल फलेसिया ब्लॉक के सुदूर गांव परगड़िया में बीते मंगलवार को जश्न का महौल था। वजह थी 80 वर्षीय देवदास कलसुआ का विवाह समारोह, जिसमें उनकी दुल्हन बनी थीं 76 साल की मगडू बाई। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार 48 साल तक साथ साथ रहने के बाद देवदास कलसुआ ने मगडू भाई के साथ जारी अपने रिश्ते को नाम देने का फैसला किया, जिसके लिए धूमधाम से विवाह रचाया गया।
खास बात ये है कि समारोह का आयोजन देवदास के पौते पड़पोतों ने किया था। जो देवदास की पहली पत्नी से पैदा हुई संतान हैं। गांव वालों ने बताया कि देवदास की शादी बचपन में ही कर दी गई थी। उनकी पहली पत्नी का नाम चंपा बाई है। लेकिन वह पडोस के गांव में रहने वाली मगडू बाई से मोहब्बत करते थे और एक दिन उसे लेकर भाग गए। कुछ दिन बाद वह वापस अपने घर लौटे जहां उनकी पहली पत्नी अपने बच्चों के साथ रहती थी।
ति की दूसरी शादी से नाराज चंपा बाई अपने बच्चों को लेकर चली गई, जिसके बाद देवदास मगडू बाई के साथ अकेले अपने घर में रहने लगे। हालांकि दोनों ने शादी नहीं की थी लेकिन कभी इसकी परवाह भी नहीं की और ये सिलसिला 48 सालों तक चलता रहा। इस बीच उनकी पहली पत्नी भी मगडू बाई को स्वीकार करके वापस लौट आई।
देवदास के बेटे अर्जुनलाल जो एक स्कूल में शिक्षक हैं वो बताते हैं कि उनके पिता का रिश्ता मगडू बाई के साथ सही चल रहा था लेकिन इस पर सामाजिक मुहर नहीं लगी थी इसलिए उन लोगों ने दोनों का विवाह कराने का फैसला किया। समाज भी बिना विवाह इस रिश्ते को मान्यता देने को तैयार नहीं थी, इस आयोजन के बाद सभी ने उनके रिश्ते पर अपनी रजामंदी की मुहर लगा दी। हालांकि शादी में देवदास की पहली पत्नी शरीक नहीं हो सकी, घरवालों ने बताया कि वह बीमार हैं।