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क्रिकेट के मैदान में पिलाते थे पानी, राजनीति के रण में भी नहीं गाड़ पाए झंडे

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: Ayush Jha Updated Wed, 11 Nov 2020 12:31 PM IST
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tejashwi yadav
tejashwi yadav - फोटो : सोशल मीडिया
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एग्जिट पोल में बिहार की कमान संभालने वाले तेजस्वी यादव को नतीजों में काफी निराशा हाथ लगी है। लोगों ने तेजस्वी के जन्मदिन पर उन्हें सीएम के संबोधन के साथ बधाई दी थी लेकिन जैसे जैसे दिन चढ़ा मतगणना में बहुमत के रुझान एनडीए के पक्ष में चल गए। 
इस बार विधानसभा चुनाव में लालू के लाल ने जनता के मन में जगह बनाने का भरसक प्रयास किया, खूब रैलियां की, प्रचार-प्रसार किया, नीतीश बाबू की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए यही नहीं लोगों के बीच अपनी उपस्थिति भी दर्ज करवाई लेकिन जनता को तेजस्वी की ये कोशिशें बिलकुल भी ना रास आई। 
तेजस्वी का इस बार रंग-रोगन देख लग रहा था कि राबड़ी दुलारे सियासी रण में अपना झंडा गाड़ ही देंगे हालांकि उनकी मेहनत और सूझबूझ पर सवाल खड़ा करना गलत होगा क्योंकि अपनी रैलियों में उन्होंने यादव परिवार का रोना ना रोते हुए अपने आप को जनता का पक्षधर जताने की कोशिश की, राबड़ी देवी को घर पर आराम करने को कहा, लालू यादव के बयान ज्यादा मुखर नहीं हुए, तेज प्रताप को भी जुबान पर लगाम लगाने को कहा गया और मैदान पर तेजस्वी ने केवल खुद को हावी किया ताकि जनता उन्हें उनके मंत्री के रूप में देखे ना कि यादव खानदान के सुपूत्र के रूप में,तेजस्वी लोगों के बीच अपनी पकड़ बनाने में भी मजबूत रहे लेकिन पार्टी की नैय्या इस चुनाव में डूब गई। 
भाजपा ने एक बार फिर बाजी मार ली है और तेजस्वी को अपनी राघोपुर सीट की जीत को लेकर ही संतोष करना पड़ रहा है। चुनाव के मैदान में ज्यादा कुछ कमाल ना दिखा पाने वाले तेजस्वी खेल के मैदान में भी अपनी झंडे गाड़ नहीं पाए हैं। बिहार में पिता की राजनीतिक विरासत छोड़कर तेजस्वी ने दिल्ली में अपनी पढ़ाई-लिखाई शुरू की, हालांकि वे पढाई में नौंवीं कक्षा तक ही पढ़ पाए और क्रिकेट की तरफ कदम बढ़ा लिया।
इसके बाद वे अंडर-15 टीम का हिस्सा बने, फिर झारखंड की तरफ से अंडर-19 टीम की तरफ से खेले और इसी दौरान आईपीएल के लिए दिल्ली डेयरडेविल्स (आज की दिल्ली कैपिटल्स) से जुड़े। तेजस्वी  2008-12 तक चार सीजन दिल्ली डेयरडेविल्स का हिस्सा रहे, हालांकि उन्हें कभी भी टीम की प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं मिला। वे मध्यक्रम के बल्लेबाजी के अलावा वह गेंदबाजी भी करते थे। 
2010 में तेजस्वी ने राजनीति के मैदान में उतरकर अपने पिता के लिए बिहार चुनाव में प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभाला। इस दौरान उनके पिता और उस वक्त के रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने संसद में कहा था कि उनके बेटे को आईपीएल में खेलने का मौका नहीं मिला और उसने दूसरे खिलाड़ियों को मैदान में पानी पिलाया। तेजस्वी ने क्रिकेट के क्षेत्र में घरेलू क्रिकेट में कुछ मुकाबले खेले लेकिन प्रभावी प्रदर्शन नहीं कर पाए। 
वे झारखंड टीम की तरफ से 2009 में रांची में रणजी ट्रॉफी प्लेट लीग में विदर्भ के खिलाफ खेलने उतरे थे। तब उन्होंने अपनी डेब्यू मैच की पहली पारी में सिर्फ 1 और दूसरी पारी में 19 रन बनाए थे। गेंदबाजी करते हुए उन्होंने पहली पारी में 5 ओवरों में बिना किसी विकेट के 17 रन दिए। तो इस तरह तेजस्वी यादव खेल के मैदान में तो खास कमाल कर नहीं पाए लेकिन आने वाले समय में राजनीति में उनसे कुछ उम्मीद की जा सकती है। हालांकि इस बार तो तेजस्वी की पार्टी को जनता ने बहुमत दिया नहीं लेकिन आगे राजद पर भरोसा दिलाने पर क्या तेजस्वी कामयाब हो पाएंगे या नहीं यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा। 
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