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शादी में फूल की जगह थे पोस्टर, अब चला रहे हैं दहेज के खिलाफ मुहिम

दीपाली अग्रवाल, टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Sat, 06 Jan 2018 01:05 PM IST
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man from bihar starts campaign against dowry
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विस्तार

पुराने समय से ही हमारा समाज कुरीतियों का शिकार रहा है| और इतिहास इस बात का गवाह है कि समाज में से ही किसी विरले व्यक्ति ने उठ कर इन कुरीतियों के खिलाफ जंग लड़ी और उन्हें ख़तम किया| सती प्रथा से लेकर पर्दा प्रथा के विरोध में अनेक आवाजें बुलंद हुई और आज हमारा समाज लगभग इन कुरीतियों से मुक्त हो चुका है|

लेकिन अब भी और ऐसे कई जाल हैं जिनकी गिरफ्त में समाज फंसा हुआ है| ऐसा ही एक जाल है दहेज, जिसे विवाह के समय वधु पक्ष की तरफ से वर पक्ष को दिया जाता है| विवाह समाज संचालन की एक मूलभूत जरूरत है लेकिन लोगों ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को गहरे तौर पर इससे जोड़ लिया है|  जिस वजह से लड़की वालों को कई बार दवाब भी झेलना पड़ता है|

लेकिन बिहार के रहने वाले इम्तियाज ने इसके विरुद्ध मुहीम चला दी है| इस मुहीम की शुरुआत इम्तियाज की शादी के समय हुई जब उन्होंने बिलकुल सादगी के साथ इसे करने का फैसला किया| उनकी शादी में न बारात थी और न ही कोई दिखावा, घर के 6 सदस्यों के साथ उनकी शादी सम्पन्न हो गई|

उनकी शादी की सबसे दिलचस्प बात ये रही कि वहां की सजावट में फूल नहीं थे बल्कि ऐसे पोस्टर लगाए थे जिन पर दहेज़ के खिलाफ सन्देश लिखे गए थे| बिना किसी ठाठ-बाठ की उनकी शादी तो विशेष थी ही साथ ही उन्होंने अपनी सालगिरह को भी एक सन्देश बना दिया| इस जश्न को उन्होंने 'unnoticed clothes' कैंपेन का नाम दिया| अपनी पत्नी के साथ मिल कर इम्तियाज़ ने मुजफ्फरपुर के चंदवारा मोहल्ले की मंदिरों और मस्जिदों में पोस्टर लगाए जहां लोगों से पुराने और गैर-जरुरती कपड़ों को दान करने की अपील की गई|

इम्तियाज़ का कहना है कि केवल 27 दिनों में ही उनके पास ढाई हजार से ज्यादा कपडे आ चुके हैं, जिन्हें वह जरुरतमंदों तक पहुंचा देते हैं|



इस क्लॉथ कैंपेन के बारे में इम्तियाज़ कहते हैं कि, "इसे शुरू करने के पीछे हमारा मकसद यह था कि आज इंसान की एवरेज ऐज 55 से 60 साल के बीच है और 25 से 30 साल की उम्र में ज़्यादातर लोगों की शादी हो ही जाती है। यानी एक इंसान अपने जीवन में 25 से 30 बार अपनी शादी की सालगिरह को मनाता है। अगर 125 करोड़ आबादी के 1% लोग भी अपनी सालगिरह को सामाजिक तौर पर मनाना शुरू करें, तो हम 1,2500000 लोगों के लिए कुछ ना कुछ जरूर कर सकते हैं। अगर इसमें जन्मदिन जैसे दूसरे समारोह भी शामिल हों, तो फिर कहने ही क्या।"|
इम्तियाज़ कहते हैं कि, 'उनके इस कैंपेन को लेकर लोगों की सोच भी बढ़ रही है। वो अब तक 13 ऐसे लोगों की शादी में हिस्सा ले चुके हैं, जहां बिना किसी ताम-झाम और दान-दहेज के शादी हुई। एक शादी के बारे में इम्तियाज़ कहते हैं कि एक लड़का अपने निकाह से ठीक पहले खड़ा हो गया और लड़की के भाई और पिता को स्टेज पर बुलाया। इसके बाद उनसे कहा कि 'यहां जितने भी मेहमान बैठे हैं मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मैं कोई बारात नहीं लाना चाहता था, पर इनकी ज़बरदस्ती की वजह से मुझे बारात लानी पड़ी है. मैं ये शादी तभी करूंगा, जब ये शादी दहेज के बिना होगी।'|

शादी में ऊपरी साज सज्जा, दिखावा और लालच के चलते लिए जाने वाले दहेज के खिलाफ इम्तियाज की ये कोशिश काबिल ए तारीफ होने के साथ साथ समाज के लिए एक मार्गदर्शन भी है|  
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