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इनके नाम दर्ज है सबसे छोटी पतंग बनाने का रिकॉर्ड, सुई की छेद से निकाल चुके हैं 7 पतंगें

टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Fri, 16 Nov 2018 05:22 PM IST
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kite - फोटो : Amar Ujala
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दुनिया की सबसे छोटी पतंग बनाने का रिकॉर्ड एक भारतीय के नाम है। ये पतंग इतनी छोटी थी कि सुई की छेद से सात पतंग निकल गईं और हर पतंग में एक संदेश लिखा था। यकीन नहीं होगा लेकिन आप भी मिल लीजिए... 

ये शख्स हैं पजांब के मोहाली में रहने वाले पंजाब स्टेट फोरेंसिक लैब के असिस्टेंट डायरेक्टर दविंदर पाल सिंह सगहल। पतंगबाजी और काइट मेंकिंग में कई अवार्ड अपने नाम कर चुके हैं। काइट मेकिंग से इंटरनेशनल स्तर पर चंडीगढ़ व पंजाब को नई पहचान दिलाने में प्रयासरत हैं। 

डॉ. दविंदर पाल सिंह सगहल ने बताया कि पतंगों से प्यार और दोस्ती का सफर बचपन से ही शुरू हो गया था। बचपन से ही पतंग उड़ाते थे। कई बार गिरे भी लेकिन उन्होंने इसे नहीं छोड़ा। जब 1978 में पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए पहुंचे, तो बसंत मौके होने वाली पतंगबाजी प्रतियोगिता में उन्होंने हिस्सा लिया। इस दौरान वह पतंग उड़ाने में सबसे आगे चल रहे थे। लेकिन तत्कालीन काउंसिल प्रेसिडेंट के करीबी को विजेता का अवार्ड दे दिया गया। इसके बाद उन्होंने हर साल पतंग मेकिंग कंपीटीशन में हिस्सा लेने का फैसला लिया। साथ ही कई सालों तक वह विजेता बनते रहे। 

जब पंजाब में आतंकवाद का माहौल था तो उन्होंने पतंगों से विश्व शांति व आपसी भाइचारे का संदेश दिया। इस दौरान वह बटरफ्लाई की तरह दिखने वाली पतंग बनाकर उड़ाते थे, जिसे उस समय खूब पसंद किया गया। इसके बाद उन्होंने इसी जूनून को आगे बढ़ाने की सोची। साथ ही कुछ करने की ठानी। फिर उन्होंने सुई की छेद से सबसे छोटी सात पतंगों को निकालकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉडर्स में अपना नाम दर्ज करवा दिया था। 2002 में यूरोप की स्लोविक ऑफ रिकॉर्ड्स में उनका नाम दर्ज हो गया था। वहीं, 2003 में पंजाब सकार ने उन्हें स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया था।

डॉ. सगहल ने बताया कि 2008 में चाइना में हुए वर्ल्ड काइट कंपीटीशन में भाग लिया था। साथ ही वहां पर जाकर देश का नाम रोशन किया था। इसके बाद उन्होंने साउथ कोरिया में हुए कंपीटीशन में देश का नाम रोशन किया था। चंडीगढ़ के एक नेशनल अखबार द्वारा उन्हें अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। अब तक वह कई अवार्ड जीत चुके हैं। वहीं, अब हर राष्ट्रीय दिवस पर वह एक नई थीम पर पतंग बनाकर रखते हैं। साथ ही बच्चों को पतंग बनाकर बांटते हैं। इसके अलावा प्रदूषण दिवाली मनाने का संदेश भी उन्होंने दिया है।

 वहीं, इन दिनों वह एक नए मिशन में जुटे हैं। वह रोजाना हर पांच लोगों के चेहरों पर खुशियां लाने की कोशिश करते हैं। उनका कहना है कि इस भागदौड़ की जिंदगी में लोगों के चेहरों से मुस्कराहट बिल्कुल गायब हो चुकी है।
    

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