Home Fun Mufti Government Names Burhan Brother In Compensation List

10 लाख के इनामी आतंकी बुरहान वानी के भाई की मौत का मुआवजा महबूबा की सरकार दे रही!

shweta pandey/firkee.in Updated Wed, 14 Dec 2016 11:57 AM IST
विज्ञापन
खालिद
खालिद
विज्ञापन

विस्तार

बुरहान वानी। जिसने मात्र 15 साल की उम्र में  हिजबुल मुजाहिदीन (आतंकी संगठन) ज्वॉइन कर लिया था। उसके बड़े भाई खालिद वानी की सुरक्षाबलों से मुठभड़ में मौत हुई थी। पिछले साल अप्रैल में।अब सबसे अहम बात ये है कि इस हत्या के लगभग डेढ़ साल बाद जम्मू-कश्मीर की सरकार उसके परिवार को मुआवजा दे रही है। 

सोचने वाली बात तो है क्योंकि कायदे से 'आतंकवादी या चरमपंथी' की मौत का मुआवजा नहीं दिया जाता। मुआवजा देने की जरूरी शर्तों में एक यह शर्त भी शामिल है कि मरने वाला आतंकवादी या फिर उग्रवादी नहीं होना चाहिए। फिर जाने क्या सोचकर 16 महीने बाद कश्मीर की सरकार ने ऐसा कदम उठाया है। 

बुरहान मुजफ्फर वानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का कमांडर था। यही नहीं कश्मीर में अच्छी और संपन्न फैमिली से था। इसके पिता स्कूल प्रिन्सिपल हैं। 15 साल की उम्र में घर छोड़कर आतंकवादी बन गया था। वानी का बड़ा भाई खालिद मुजफ्फर भी आतंकवादी था। आर्मी का ऐसा कहना है। जो कि पिछले साल सुरक्षा बलों के हाथों मारा गया। 

उसको कश्मीर में काफी लोकप्रियता मिली और वह कमांडर बन गया। वह साउथ कश्मीर में 11 से 15 स्थानीय आतंकियों का नेतृत्व कर रहा था। सुरक्षा बलों को उसकी काफी समय से तलाश थी इसलिए उस पर 10 लाख का इनाम रखा गया था। 
 

25 साल का खालिद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए कर रहा था। लेकिन उसकी मौत किसी दुर्घटना की वजह से नहीं हुई थी। बल्कि उसे सुरक्षा बालों ने मुठभेड़ में मारा था। ऐसे में महबूबा मुफ्ती की सरकार द्वारा खालिद वानी की मौत के बदले मुआवजा देने की घोषणा करना सीधे तौर पर सेना के रुख का विरोध करता है। सेना ने साफ किया था कि खालिद हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी था और उसकी मौत मुठभेड़ के दौरान हुई थी। 

जब आर्मी ने ही साफ कर दिया था तो फिर सरकार ऐसा क्यों कर रही? ये तो वही जाने। हां इसका एक और पहलु है कि पहले या तो मुठभेड़ की जांच हो। उसके बाद अगर ये फ़र्ज़ी मुठभेड़ था तो इस पर एक्शन लिया जाए। लेकिन बिना किसी जांच के सरकार अगर मुआवज़े की घोषणा कर रही है तो इस पर सवाल उठाना जायज़ भी है और जरूरी भी। 

वैसे जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी गठबंधन की सरकार है! अब देखना है, आगे क्या होता है? क्या पीडीपी गवर्नमेंट अपने ही साथी पार्टी के विरोध को बर्दाश्त करेगी या फिर अपने फैसलों में थोड़ा बदलाव। विरोध शुरू हो चुका है। 
 

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree