Home Fun Olympian Manoj Kumars Brother And Coach Rajesh Kumar Writes Letter To The Hariyana Minister

बॉक्सर मनोज कुमार और उनके भाई रियो से अपील कर रहे हैं, मेरे घर वालों को गुंडों से बचा लो!

Updated Sat, 13 Aug 2016 05:13 PM IST
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विस्तार

एक तरफ हम हर रोज ओलंपिक से मेडल आने का इंतज़ार कर रहे हैं। यूएस जैसा देश जहां अभी तक 50 से भी ज्यादा मेडल जमा करने में लगी है। वहीं इंडिया का खाता अब खुलने की कगार पर पहुंचा है। एक तरफ सानिया मिर्ज़ा और बोपन्ना की जोड़ी टेनिस मिक्स डबल्स में आगे बढ़ रही है। वहीं इंडिया की दूसरी उम्मीद जो अब तक कायम है बॉक्सर मनोज कुमार। जो 64 किलोग्राम वर्ग में लगातार आगे बढ़े जा रहे हैं। लेकिन शायद उनके गांव के कुछ लफंगों को ये मंजूर नहीं हो रहा है।
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बॉक्सर मनोज कुमार हरियाणा के कैथल जिले के राजौंद गांव के रहने वाले हैं। रियो में उनके साथ उनके बड़े भाई और कोच राजेश कुमार भी साथ ही गए हैं। जब तक दोनों भाई उधर ओलंपिक में देश के लिए पदक जितने के लिए जी-जान एक कर रहे हैं। वही दूसरी तरफ उनके गांव में कुछ गुंडे-मावाली जलन में इनके मोहल्ले का ट्रांसफॉर्मर खोल के ले गए। जिससे कि इनके परिवार वाले घर में  मनोज का मैच ना देख पाएं। साथ ही वो इनके परिवार को परेशान भी करते हैं। कितनी शर्म की बात है।

इन सब बातों से परेशान हो के मनोज के कोच एवं बड़े भाई राजेश ने रियो से ही हरियाणा सरकार में मंत्री अनिल विज को मेल लिखा है।

जिसमें उन्होंने लिखा कि "यहां हम ओलंपिक में देश के लिए खून-पसीना बहा रहें हैं। लेकिन हमारी अनुपस्थिति में गांव के कुछ बदमाश एवं दबंग लोग मेरे घर वालों को परेशान कर रहे हैं। यहां तक कि घर वालों को मनोज का मैच भी नहीं देखने दे रहे। वहां की खबर सुन-सुन के मनोज अपने खेल पर ध्यान नहीं दे पा रहा। हमारे परिवार की सुरक्षा कीजिए।"

जिस पर मंत्री अनिल विज ने भी उनको तुरंत ही जवाब भी भेजा। जो कि काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने राजेश को जवाबी मेल में कहा कि आप खेल पर ध्यान लगाइए। हमने कैथल के पुलिस अधीक्षक से बात कर ली है। आपके घर पुलिस को भिजवा दिया गया। आप यहां की चिंता बिलकुल भी ना करें।

खैर पुलिस को तो अपना काम करना है वो करेगी ही। लेकिन सामाजिक स्तर पर हमारी मौत तो हो गई। एक आदमी वहां देश के लिए बॉक्सिंग रिंग में खून-पसीना बहा रहा है। और ये लोग बरदास्त नहीं कर पा रहे हैं। छी-छी....ऐसे लोगों पर मैं थूकना पसंद करूंगा। क्योंकि थूकना भी नहीं चाहूंगा ये थोड़ा डायलॉगबाज़ी हो जाएगा।

वैसे मुझे यहीं एक और बात याद आती है, कहीं अगर रियो से लौटने के बाद अपना बॉक्सर भगा-भगा के इनको सोंटना शुरू करे तो कौन बचाएगा! बेकार में हीरो बन रहे हैं। अरे भैया शान्ति से रहो, देश और अपने गांव को आगे बढ़ते देखो। और नहीं तो बहुत दम है तो उतर जाओ रिंग में साथ में, मार के खलिहान बना देगा। मुंह का तंबूरा बन जाएगा।

पढ़ते रहिए firkee.in हम खबर देते नहीं, लेते हैं! 

 
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