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पाकिस्तान चाहता क्या है, ये मुझे लगता है पूरी दुनिया की समझ से परे है। हमारे यहां एक कहावत है, आपके यहां भी होगा कहते हैं, "जब इंसान के खुद का घर नहीं संभल रहा हो तब दूसरों के घर पर आंख नहीं डालते नहीं तो अपना बर्बाद होना तय होता है।"
अब कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी के मौत के बाद से ही कश्मीर में कर्फ्यू और जो भी सब कुछ हो रहा है, वो आपको पता ही है। इसके बाद पाकिस्तान में जो सूरमा भोपाली लोग हैं, माईक पकड़ के बौखना शुरू कर दिए। वो चाहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हों चाहे वहां के अच्छे आतंकवादी हाफीज़ सईद हों। वहां तो दो तरह के आतंकवादी भी होते हैं न। एक अच्छे और एक खराब। ये मैं नहीं ये पाकिस्तान का ही दिया स्टेटमेंट है। पिछले साल जब वहां के एक स्कूल में आतंकवादी हमला हुआ था तब इन्होंने आतंकवाद के खिलाफ एक जूट होने की बात की थी। लेकिन कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं हुई है।
अभी कुछ दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ लंदन से अपने हार्ट का ऑपरेशन करा के लौटे हैं। 19 जुलाई को पाकिस्तान ने ब्लैक डे घोषित किया और अपना ही मुंह काला किया। अब शुक्रवार 22 जुलाई को नवाज़ शरीफ जी ने मंच से सीधे एलान किया कि "मैं तो उस दिन का इंतज़ार कर रहा हूं जब कश्मीर पाकिस्तान बनेगा, कश्मीर आज़ाद होगा।"
अब हम तो यहां बैठे लिखने में लगे हुए थे नहीं तो मन किया एक खत लिख दें उनके नाम का। कि हार्ट का ऑपरेशन करवा के आए हो। आराम करो। ज़िन्दगी लम्बी होगी, क्या फायदा माईक पर अनाप-सनाप बकने का। शांति से रहो, जियो और जीने दो। और रही बात कश्मीर की तो वो तो महाराजा हरी सिंह हिन्दुस्तान के नाम कर गए हैं। सो वो तो हिंदुस्तान का था है और रहेगा। कश्मीर में शान्ति से आना है, घूमना है, कश्मीर की तरक्की देखनी है तो आओ देखो।
लेकिन नज़र ना लगाना, हमारे यहां के लौंडों को गोटियां खेलने का शौक बहुत ज्यादा है!
अब ज्यादा बात नहीं ये रहा विडियो देख लें..
https://youtu.be/XFLw0Yzn-PY
वैसे मेरा मानना है कि कश्मीर की भलाई चाहने वाले कश्मीर में अमन और शान्ति की अपील करते तो बेहतर होता। और कश्मीर से पहले आतंकवाद की समस्या सुलझाएं।
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