Home Fun Pavan Shetty Becomes Porsche India Head

घर-घर सामान बेचने वाला आज दुनिया की सबसे महंगी कार कम्पनी का डायरेक्टर है

Shivendu Shekhar/firkee.in Updated Tue, 10 Jan 2017 06:47 PM IST
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PAVAN SHETTY 3
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विस्तार

बलराज साहनी साहब की एक फिल्म थी, 'वक़्त'। 1965 का साल था। इसी फिल्म का एक गाना है, बेहद ही मशहूर गाना है। साहिर लुधयानवी साहब का लिखा गीत।

'वक़्त से दिन और रात वक़्त से कल और आज वक़्त की हर शय गुलाम  वक़्त का हर शय पर राज'

आज जब इकॉनोमिक टाइम्स में छपी इस खबर पर नज़र गई तो बस यही गाना याद आया। सबसे पहले। लेकिन जब पूरी कहानी पढ़ा तब समझ आया कि नहीं इस लड़के ने वक़्त को भी मात दी। वो क्या कहते हैं न, धूल चटा दी।

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कौन है ये?


पवन शेट्टी, मुंबई का लड़का। बीकॉम किया और देश के बाकी बेरोज़गारों की तरह बेरोज़गार। साथ में एक और बड़ी मुश्किल, घर का एक करीबी जो बीमार था। उसकी भी देख-रेख करनी है सो अलग। ऐसे ही लगभग एक साल बीत गया। लेकिन पवन को अपनी परेशानी का इल्म था। उसे पता था कि मुंबई में ज़िंदा रहना है तो जल्दी कमाना शुरू करना होगा। एक दिन अखबार में एक विज्ञापन दिखा। अप्लाय कर दिया। नौकरी मिल गई। नौकरी थी सेल्स मैन की। वो वाला सेल्स मैन जो आपके घर तक आकर आपको सामान बेचता है। साल था 1999, आज से ठीक 17 साल पहले।

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1999 में पवन फाइनेंसियल एक्सप्रेस का सेल्स मैन था।


पवन कहते हैं कि "मैंने ये काम लगभग 6 महीने तक किया। और यही जॉब थी जिसने मुझे बोलना सिखा दिया। मेरी झिझक अब खत्म हो गई थी। मैं लोगों के दरवाज़े-दरवाज़े जा कर बेचने का काम करता था। और इसके लिए 8-8 किमी तक भी चलना पड़ता था।"

साल आया 2000


"फाइनेंसियल एक्सप्रेस में सेल्स की नौकरी के बाद मेरा मन बैंकिंग में जाने का हुआ। एचएसबीसी में इंटरव्यू दिया। हो गया। लेकिन मेरे पास कोई स्पेशल नॉलेज नहीं थी। तो मुझे जनरल जॉब में रख लिया गया। यहीं से मेरा मन हुआ कि अब MBA करना है। लेकिन इसका भी ध्यान रखना था कि ज्यादा पैसे न खर्च हो जाएं।" CET का टेस्ट दिया और सेलेक्ट हो गया। CET महाराष्ट्र में लिया जाने वाला एक टेस्ट है जो 'एमबीए' में एडमिशन के लिए कराई जाती है। एडमिशन मिल गया मुंबई के ही सिडन्ह्म कॉलेज में।

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साल 2003, इंटर्न


पवन कहते हैं, "एमबीए करते हुए गुजरात की एक मोटर कम्पनी में इंटर्नशिप का मौका मिला। मैंने लगभग 2 महीने तक इंटर्नशिप की। जिसमें मुझे मोटर कम्पनी के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला।"

साल 2004, टाटा मोटर्स


अब कैंपस में प्लेसमेंट का टाईम था। सभी अपनी-अपनी नौकरियों की तैयारी में थे। पवन भी अपनी नौकरी की तैयारी में था। पवन चाहता था कि किसी ऐसी कम्पनी में नौकरी मिल जाए जो रोजमर्रा के सामान बनाती हो। हिंदुस्तान युनिलीवर कैंपस पहुंची। लेकिन टेंशन में पवन का इंटरव्यू ठीक नहीं हुआ। और नौकरी मिली नहीं। फिर अगली कम्पनी का इंतज़ार था। कम्पनी थी टाटा मोटर्स। इंटरव्यू हुआ, नौकरी मिल गई। प्रोडक्ट अकाउंट मैनेजर के पोस्ट पर काम शुरू हुआ। पवन कहते हैं, "मैं टाटा मोटर्स के मुम्बई ब्रांच में था। वहां छोटी कारों की डील नहीं थी। वहां ट्रक की डील होती थी। एक-एक बार में 100-150 ट्रक की डील होती थी। मेरे पास एक मिनट का भी फ्री टाईम नहीं होता था।"

साल 2007, फोर्ड इंडिया


टाटा मोटर्स में 2 साल तक काम करने के बाद फोर्ड इंडिया से ऑफर मिला। इनके गुजरात का बिज़नेस कुछ ठीक नहीं जा रहा था। उसमें कुछ सुधार करना था। शुरू के 2 साल पवन ने वहां सेल्स का काम देखा। फिर अगले 2 साल तक सेल्स और मार्केटिंग दोनों का काम देखा। गुजरात में फोर्ड की हालत बहुत कुछ सुधर गई थी। और यहां से पवन को कारों का अंदाज़ा भी हो गया था।

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साल 2012, लम्बोर्गिनी इंडिया


"अब ये टाईम था जब मैं मुंबई से ज्यादा दूर या बाहर नहीं जाना चाहता था। मुझे दिल्ली वगैरह से ऑफर मिल रहे थे। लेकिन मेरा कहीं जाने का मन नहीं था। लम्बोर्गिनी के बारे में एक कंसलटेंट ने बताया। मुझे उसने बताया कि एक जॉब है, जहां साल में 10-15 कार ही बेचनी है। मैं भी बिना ज्यादा सोचे मीटिंग के लिए पहुंच गया। और जब मुझे कम्पनी का नाम पता चला, मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं। यहां मुझे सब कुछ खुद से तैयार करना था। कंपनी के इंडिया ऑपरेशन की शुरुआत करनी थी। तो ऐसा लगा जैसे बिना पैसे लगाए खुद का बिज़नेस तैयार कर रहा हूं।"

साल 2016,पॉर्श इंडिया


इतने सालों तक लम्बोर्गिनी का ऑपरेशन देखने के बाद। अब जब स्विच करना था तो इस बात का भी ध्यान रखना था कि अगली कंपनी इससे बड़ी हो। तो अब हिन्दुस्तान की सड़कों पर दौड़ने वाली सबसे महंगी कारों में से एक पॉर्श इंडिया के डायरेक्टर हो गए हैं, पवन शेट्टी। पवन का कहना है कि "अब मुझे ये भी देखना था कि बड़ी कम्पनियों में जहां ज्यादा कारों की डील होती है वहां का ऑपरेशन कैसा होता है। और सीखने का मौका भी ज्यादा मिलेगा।"

वैसे आपको बता दें जितनी आसानी से आपने ये 17 साल कुछ लाईनों में पढ़ लिया। ये जर्नी इतनी भी आसान नहीं रही होगी। ये ठीक वैसी ही बात है कि लोग कहते हैं रातों रात बड़ा आदमी बन गया लेकिन कोई ये नहीं समझता है वो रात 17 साल लम्बी थी। उन रातों में कई महीनों की नींद गुम हुई होगी। 

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