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केंद्र की मोदी सरकार और सूबे के योगी सरकार साफ-सुथरा भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और लोगों से लगातार आह्वान कर रही है कि वे इस शुभकार्य में अपनी सहभागिता निभाएं। खुले में शौच देश में एक बड़ी समस्या है, जिससे धीरे-धीरे निजात मिल रही है। सरकार भी इस खुले में शौच से मुक्ति के लिए सरकारी पैसे से मदद करती है। लेकिन यूपी के इस गांव ने खुले में शौच से मुक्ति के लिए जो मिसाल पेश की, वह काबिल-ए-तारीफ है और बहुत संभव है कि सूचना मिलते ही पीएम मोदी और सीएम योगी का सीना 56 का 100 इंच का हो जाए। कहने का मतलब है कि वे फूले नहीं समाएंगे।
इस गांव के लोग देश के दूसरे गांवों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह अच्छी खबर यूपी के बिजनौर के मुबारकपुर कलां गांव की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस गांव की आबादी करीब साढ़े तीन हजार है। करीब साढ़े छह सौ परिवार इस गांव में गुजर-बसर करते हैं। गांव में महज डेढ़ सौ घरों में शौचालय थे, बाकी के लोग खुले में शौच के लिए जाते थे।
गांव की प्रधान किश्वर जहां ने घरों में शौचायल बनवाने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा। अधिकारियों ने साढ़े 17 लाख रुपये की मदद भी जारी करवा दी, लेकिन गांव वालों ने सरकारी पैसों से शौचालय बनवाने से इंकार कर दिया और आपस में ही मिल-जुलकर एक बढ़िया काम कर डाला। इसके पीछे दलील यह थी कि रमजान के पाक महीने में मदद ली नहीं, दी जाती है।
...और रमजान के महीने में बिना सरकारी मदद एक गांव की तस्वीर बदल गई।
मुख्य विकास अधिकारी इंद्रमणि त्रिपाटी की मानें तो देश में यह पहला गांव होगा, जिसने सरकारी मदद न लेकर भी विकास कार्य में सहभागिता निभाई।
गांव की प्रधान किश्वर जहां की मानें तो लोगों ने आपस में पैसों के अलावा एक-दूसरे के लिए मजदूरी करके भी मदद की।