विस्तार
साल 2014 के दिसंबर के महीने का वो दिन याद होगा आपको, जब पाकिस्तान की सरजमीं छोटे-छोटे बच्चों के खून से लथपथ हो गई थी। आतंकियों ने पाकिस्तान के एक स्कूल पर हमला कर दिया था। उस दिन आसमान भी रो पड़ा था। सिर पर मौत का कफन बांधे आतंकियों ने स्कूल में पढ़ने वाले मासूम बच्चों को बंदूक से भून कर रख दिया था। उस दर्दनाक घटना ने पाक से बहुत कुछ छीन लिया जिसकी भरपाई शायद कभी न हो सके, लेकिन बदले में उसे अहमद नवाज जैसा बेटा दिया। जो उसी आंतक का शिकार बनने के बावजूद उन दुश्मनी ताकतों से लड़ रहा है।
पेशावर में हुए हमले में अहमद नवाज घायल हो गया था। वो बताता है कि उसने अपनी आंखों के सामने अपने भाई और उन 132 दोस्तों को मरते हुए देखा है, जो उसके साथ स्कूल में खेला करते थे। अपने भाई को खोने के बाद अहमद ने तय किया कि अब पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था के लिए ही कुछ करना है। इसी जज्बे के साथ जुट गये। अहमद नवाज उस हमले के बाद की दास्तान खुद लिखते हैं।
16 साल का ये पाकिस्तानी लड़का आज दुनिया भर में शिक्षा और शांति की लौ जलाने में जुटा हुआ है। अहमद का मानना है कि आतंकवाद को मात देने का एकमात्र तरीका है शिक्षा। अहमद जब घायल होकर ट्रॉमा सेंटर में थे तभी तय कर लिया था कि अब पाकिस्तान के लिए कुछ करना है।
अहमद के आज दुनिया भर में फॉलोअर हैं। उनकी कोशिशों का फर्क कितना हुआ ये तो नहीं पता लेकिन कोशिश वाकई काबिले तारीफ है। कहना आसान होता है लेकिन जिसने आतंकियों की गोलियों का सामना किया हो, अपने करिबियों को उन गोलियों से मरते देखा हो, वो निहत्थे आतंकियों से मोर्चा लेने निकल पड़ा हो तो तारीफ तो बनती है।