ब्रिटेन के चुनाव में भले ही इस बार किसी को पूर्ण बहुमत न मिला हो लेकिन भारतीय मूल के एक सिख और सिखनी ने यहां अपनी जीत दर्ज करवाई है। प्रीत कौर गिल और तनमनजीत सिंह धेसी ने भारी मतों के साथ अपनी जीत दर्ज करवाई है। ब्रिटिश संसद में पहली बार कोई पगड़ी धारी एक महत्त्वपूर्ण पद संभालेगा। इसके अलावा 12 अन्य भारतीय मूल के लोगों ने भी इस चुनाव में जीत हासिल की है।
इस बार लेबर पार्टी ने कई भारतीय मूल के लोगों को टिकट दिए और उन्होंने इसपर जीत भी दर्ज करवाई। अलग-अलग पार्टियों से करीब 50 भारतीय ब्रिटिश कैंडिडेट इस चुनाव में खड़े हुए थे। लोगों का मानना है कि इतने सालों तक ब्रिटेन के विकास में योगदान देने के बाद अब जाकर सिखों को ब्रिटेन के राजनीतिक मंच पर जगह मिली है। आइए प्रीत कौर गिल और तनमनजीत सिंह के बारे में कुछ और बातें जानते हैं।
प्रीत कौर गिल
प्रीत कौर पंजाब के जालंधर से संबंध रखती हैं। उनके पिता 1962 में ब्रिटेन चले गए थे और प्रीत कौर का जन्म Edgbaston में ही हुआ था और आज वो वहीं से जीत गई हैं। उनकी इस जीत पर पंजाब में उनके रिश्तेदारों ने लंगर का आयोजन किया। अभी कुछ महीने पहले ही वो भारत आईं थीं और उन्होंने सभी को बताया था कि उनको लेबर पार्टी से टिकट मिलने वाला है। उन्होंने भारत में फोन करके बताया कि वो चुनाव जीत गई हैं। प्रीत गिल के पिता एक बस ड्राईवर थे और उन्होंने अपनी शिक्षा लॉर्ड्सवुड गर्ल्स स्कूल से पूरी की।
वह बताती हैं कि कैसे उनके पिता ने उनको राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। गिल के पिता ने भी स्थानीय लोगों के लिए बहुत काम किया था। गिल 2012 से ही राजनीति में सक्रीय थीं। वो कहती हैं कि उनके पिता ने उनसे कहा था कि उनको अपनी कम्युनिटी के लिए काम करना चाहिए और उसे ब्रिटेन के विकास के लिए तैयार करना चाहिए।
तनमनजीत सिंह धेसी
38 वर्षीय तनमनजीत सिंह धेसी उर्फ 'तन' Slough constituency से जीते हैं। धेसी के पिता यूके के सबसे बड़े गुरुद्वारे के प्रेसिडेंट रह चुके हैं। धेसी का जन्म भारत में हुआ और उनकी शुरूआती शिक्षा भी जालंधर के एक स्कूल से हुई। इसके बाद वो लंदन पढ़ने आ गए। राजनीति में आने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाते थे।
धेसी केवल 28 साल के थे जब उन्हें Gravesham Borough काउंसिल के लिए चुना गया था। वो यूरोप के सबसे कम उम्र के सिख मेयर भी थे। ब्रिटेन में बहुत सारे भारतीय मूल के लोग रहते हैं जिनकी अपनी-अपनी समस्याएं हैं। उम्मीद है कि अब सिख और अन्य एशियाई लोगों का प्रतिनिधित्व बेहतर ढंग से हो सकेगा।
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प्रीत कौर गिल
लोगों का मानना है कि इतने सालों तक ब्रिटेन के विकास में योगदान देने के बाद अब जाकर सिखों को ब्रिटेन के राजनीतिक मंच पर जगह मिली है।