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क्रिकेट हिंदुस्तान का अघोषित राष्ट्रीय खेल है, क्लासरूम हो, बेडरूम हो, आंगन हो, छत हो, गली हो, पार्क हो या फिर कोई मैदान हो। बच्चे, बूढ़े और जवान मिलकर गेंद बल्ला लेकर खेलने के लिए जुट जाते हैं। मजे की बात ये है कि हर स्तर पर आपको एक न एक सचिन या विराट खेलते हुए दिख जाएगा। लेकिन कई सालों तक अपना देश अच्छे क्रिकेटरों की किल्लत से जूझता रहा। आईपीएल शुरू होने के बाद बढ़िया क्रिकेटेरों की कमी नहीं रही। हर मैच में एक नई संभावना हाथ में गेंद या बल्ला लिए दिखाई दे जाती है।आईपीएल के 42वें मैच में ऐसा ही एक खिलाड़ी उभर कर सामने आया। जिसकी बल्लेबाजी की दीवानी पूरी दुनिया हो गई।
दिल्ली की तरफ से खेलने वाले ऋषभ पंत ने गुरुवार को हैदराबाद के खिलाफ ऐसी बल्लेबाजी की, जिसको देखकर बड़े-बड़े खिलाड़ियों का मुंह खुला का खुला रह गया। पंत ने 63 गेंदों में नाबाद 128 रन ठोक डाले, जिसमें 15 क्लासिक चौके और 7 बेहतरीन छक्के शामिल हैं। आज जिस युवा बल्लेबाजी की तारीफ हो रही है, उसने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत संघर्ष और मेहनत की है। आईए जानते हैं ऋषभ पंत की यह कहानी।
ऋषभ अपनी जिंदगी का सबसे कठिन दौर तब मानते हैं जब उनके पिता का देहांत हो गया था। उनके जीवन में यह हादसा तब हुआ जब वह आईपीएल सीजन खेल रहे थे। पिता के देहांत के बावजूद कुछ दिनों के भीतर ऋषभ ने आईपीएल ज्वाइन कर लिया।
गुरुद्वारों में चलने वाला लंगर, सही मायनों में धर्म की सेवा होता है। इस लंगर के खाने ने बहुत सारे भूखों का पेट भरा है। ऋषभ पंत भी इन्हीं लोगों में से एक थे, जब वो शुरुआती दिनों में खेल रहे थे तो उन्होंने दिल्ली के सोनेट क्लब में क्रिकेट की कोचिंग ज्वाइन की। यहां शनिवार और रविवार को क्रिकेट सिखाया जाता था। रुड़की पर रहने वाले ऋषभ शनिवार को दिल्ली आया करते थे, लंगर में खाना खाकर क्रिकेट कोचिंग जाते थे, फिर वहां से आकर गुरुद्वारे में रुकते थे। अगले दिन फिर से लंगर में प्रसाद ग्रहण करके रुड़की निकल जाते थे।
# एक मैच में 128 रन बनाने के साथ ही ऋषभ ने ऑरेंज कैप पर भी कब्जा कर लिया। इस सीजन में अब तक 521 रन बना चुके हैं।
# इसी के साथ आईपीएल में अपने 1000 रन पूरे कर लिए, सबसे कम उम्र में शतक बनाने वाले बल्लेबाज बने।
# 128 रन का उनका निजी स्कोर, टी 20 में किसी भी भारतीय बल्लेबाद हाइएस्ट स्कोर हो गया।
# इसके अलावा आईपीएल के इस सीजन में एक मैच में सबसे ज्यादा चौके लगाने वाले बल्लेबाज बन गया।