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शशि थरूर हाल ही में एक ब्रिटिश टॉक शो में गए थे। उन्होंने वहां जाकर अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा दिए। अब आप कहेंगे क्या वो वहां क्रिकेट खेल रहे थे? बिल्कुल भी नहीं। उन्होंने अपने तीखे व्यंग बाणों से इंटरव्यू ले रहे व्यक्ति को जैसे छलनी ही कर दिया।
इतिहास के विषय को लेकर आमतौर पर बच्चे बहुत परेशान रहते हैं। भारत का इतिहास बहुत विशाल है और ज़ाहिर है इसे याद करने में ख़ासा दिक्कत पेश आती है। बच्चों को तारीखें याद करने में सबसे ज़्यादा परेशानी पेश आती है। शायद यही देखते हुए ब्रिटेन ने अपने स्कूल के बच्चों के लिए पढ़ाई को काफ़ी आसान कर दिया है।
उन्होंने अपने इतिहास के एक बहुत बड़े हिस्से को तोड़-मरोड़ कर अपने बच्चों के सामने पेश किया है और उसका काफ़ी हिस्सा गायब ही कर दिया है।
इस इंटरव्यू के दौरान शशि ने ब्रिटेन की शिक्षा पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि यहां के बच्चे जो इतिहास पढ़ रहे हैं उन्हें ये ही नहीं पता है कि उनके पूर्वजों ने तमाम देशों के साथ कैसा सुलूक किया। इन बच्चों को साम्राज्यवाद का इतिहास ठीक से नहीं पढ़ाया जाता है।
इन्हें ये सिखाया जा रहा है कि अंग्रेज़ों ने अपने साम्राज्य में आने वाले देशों के साथ जो कुछ भी किया है वो उनके अच्छे के लिए ही किया है। जैसा कि हम जानते हैं कि अंग्रेज़ भारत और पूर्व के अन्य देशों के लोगों को बर्बर मानते थे। वो समझते थे कि यहां के बाशिंदों की अपनी कोई संस्कृति नहीं है और हमें जीने का सही तरीका नहीं आता।
यही वजह है कि ब्रिटेन में इतिहास शायद कुछ इसी तरह से पढ़ाया जाता है।
थरूर यहीं नहीं रुके, उन्होंने बिना भारत का नाम लिए ये कहा कि अंग्रेज़ दुनिया के सबसे अमीर देश में आए और 200 साल में उसे दुनिया का एक गरीब देश बना कर चले गए। यहां के बच्चों को ये पता होना चाहिए कि उनके देश में जो औद्योगिक क्रांति हुई है उसके पीछे किस देश का पैसा लगा है।
इस बात पर इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति थोड़ा असहज हो गया। उसने कहा कि आपको नहीं लगता कि बातें दोनों देशों के संबंधों पर बुरा असर डाल सकती हैं? इस बात का भी शशि थरूर ने बहुत अच्छा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भला इस बात का असर दो देशों के संबंधों पर कैसे पड़ सकता है?
शशि थरूर ने कहा कि अब हमारे देश की अर्थव्यवस्था ब्रिटेन के लगभग बराबर ही है इसलिए किसी तरह के टकराव का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि जब हमें ये ही पता नहीं होगा कि हमारी जड़ों में क्या है तो हम ये कैसे पता लगा पाएंगे कि हम किस दिशा में जा रहे हैं।
थरूर इस बात पर अड़े रहे कि ब्रिटेन के बच्चों को इतिहास उसी रूप में पढ़ाया जाना ज़रूरी है जिस रूप में घटनाएं घटी थीं। शायद इसके बाद वो बच्चे साम्राज्यवाद को लेकर अपनी एक समझ बना सकेंगे और उन्हें भविष्य में क्या करना है क्या नहीं ये बेहतर ढंग से समझ सकेंगे।
वैसे अच्छा ही किया शशि थरूर ने। केवल हम ही ये इतिहास पढ़-पढ़ कर क्यों परेशान हों? उन्होंने हमें इतने सालों तक परेशान किया। अब उनकी बारी है कि वो अपने पूर्वजों के कर्मों के बारे में पढ़-पढ़ कर परेशान हों!