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साउथ इंडियन फूड की बात हो तो डोसा सबसे पहले दिमाग में आता है। आए भी क्यों न एक आध नहीं पूरा तीस तरह का डोसा जो बनाया जाता है। लेकिन अक्सर दिक्कत ये आती है कि डोसा की डिमांड ज्यादा होती है लेकिन सप्लाई कम। ऐसे में रेस्टोरेंट मालिकान की दिक्कत ये रहती है कि कैसे कम वक्त में ज्यादा से ज्यादा सप्लाई ग्राहकों को होती रहे।
इसी सवाल का जवाब ढूंढते-ढूंढते एक इंजीनियर ने ऐसी मशीन बना डाली जो कि अब डोसा बनाया करेगी। इनका नाम है विकास। विकास के दिमाग में ये आइडिया कहां से आया और कैसे इसकी शुरुआत हुई आगे की स्लाइड में जानिए इस बारे में ज्यादा।
दरअसल, विकास एक बार दिल्ली आए तो रेस्टोरेंट में डोसा खाने का मन किया। लेकिन 50 रुपये में मिलने वाला डोसा दिल्ली में उन्हें 120 रुपये में मिला। विकास के दिमाग में आया कि जब बर्गर, पिज्जा जैसे प्रोडक्ट्स एक फूड चेन में एक ही दाम पर मिलते हैं तो डोसा क्यों नहीं मिलता।
उन्होंने वजह जानने की कोशिश की तो पाया कि फूड चेन रेस्टोरेंट में सारा काम मशीन से होता है, वहीं डोसा जैसी चीजों हाथ से बनती हैं। दरअसल, डोसा जैसी डिश बनाने के लिए खास कारीगरों की जरूरत होती है जो कि दक्षिण भारत में तो आसानी से मिल जाते हैं लेकिन उत्तर भारत में ऐसे कारीगर महंगे मिलते हैं। इस कारण भी डोसे की लागत बढ़ जाती है। तब विकास ने सोचा क्यों न डोसा बनाने की मशीन ही बना ली जाए।
इसके बाद इंजीनियरिंग कॉलेज में ही विकास ने अपने दोस्त सुदीप सबत के साथ मशीन बनाने पर काम शुरू किया और एक साल के भीतर ही इस में सफलता भी पाई। मशीन का आकार एक माइक्रोवेव अवन के जितना है। इस मशीन का नाम उन्होंने 'डोसामैटिक' रखा। इसमें कई तरह से डोसा को आकार दिया जा सकता है। डोसे की मोटाई भी अपने हिसाब से तय की जा सकती है।
डोसा बनाने के लिए आपको सिर्फ तेल और बाकी सामग्री मशीन में भर देनी होती है। इसके बाद जैसा भी चाहे डोसा तैयार कर सकते हैं। मशीन अपने आप तेल-मसाले डालकर डोसा तैयार कर देती है। खास बात ये है कि इससे सिर्फ 60 सेकेंड में डोसा तैयार हो जाता है। इससे ऑमलेट और उत्तपम भी बनाए जा सकते हैं।