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लॉटरी खेलने को बुरी आदतों में शुमार किया जाता है। इसके पीछे वाजिब वजह है कि यूं ही सिर्फ नंबरों के भरोसे जीवन भर की कमाई को उड़ाया नहीं जा सकता है। लॉटरी खेलने वाले शख्स की सोच होती है कि एक बार लॉटरी लग जाए तो न सिर्फ सारे नुकसान की भरपाई हो जाएगी बल्कि बिना मेहनत किए ही खाते में लाखों-करोड़ों जमा हो जाएंगे।
कुल मिलाकर लॉटरी खेलने वाले लोग किस्मत पर ज्यादा भरोसा करते हैं। लेकिन एक शख्स ने इस खेल में अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और 14 बार लॉटरी की भारी भरकम रकम पर अपना कब्जा किया।
शख्स का नाम है स्टीफेन मंडेल, रोमानिया में जन्म लेने वाले मंडेल ने साल 1960 में ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता ले ली। मंडेल पेशे से गणितज्ञ थे, इन्होंने लॉटरी का फॉर्मेट ही ब्रेक कर दिया, उन्होंने 14 बार लॉटरी जीता।
पेशे से गणितज्ञ स्टीफेन ने अपनी गणित के जरिए ही इस लॉटरी सिस्टम को ब्रेक किया। पहले उन्होंने बारीकी से लॉटरी के फॉर्मूले को समझा, फिर ईनामी राशि के बड़े होने का इंतजार किया। आखिर में सबसे बड़ी राशि पर अपने फॉर्मूले को आजमाया।
मेंडल ने लॉटरी की राशि जीतने के बाद देश ही छोड़ दिया। वो परिवार के साथ ऑस्ट्रेलिया में जाकर बस गए और वहां की नागरिकता ले ली।
मेंडल के बार बार जीत जाने से लॉटरी मालिक परेशान होने लगे। मेंडल बिना किसी कानून के उल्लंघन के लॉटरी जीतते जा रहे थे। जिसके चलते कंपनियों को इसके नियमों में ही बदलाव करना पड़ा।
नियम बदल जाने के बाद मेंडल ने अपनी खुद की लॉटरी फर्म ही खोल दी। विरोधियों ने उनके ऊपर घोटाले का आरोप लगा दिया। मेंडल 20 महीने जेल में भी रहे लेकिन बाहर आकर वो फिर गणित पर मेहनत करने लगे।