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कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। टैलेंटेड लोग बचपन से ही सुर्खियों में आने लगते हैं, बड़े होते-होते इन्हें आदत हो जाती है अखबारों और समाचार चैनलों में अपने नाम देखने की। भारत में भी ऐसे ही कुछ हुनरमंद हैं जिनके बारे में बचपन से ही कहा जाने लग गया था कि एक दिन ये भारत का नाम रौशन करेंगे। इन लोगों ने ऐसा करके भी दिखाया। आइए देखते हैं ऐसे ही कुछ लोगों की लिस्ट, जिनके हुनर की झलक बचपन में दिख गई थी।
शकुंतला देवी को आंकड़ों का बाजीगर कहा जाता है। जब ये 6 साल की थी तभी इनके टैलेंट की चर्चा देश-विदेश में होने लगी थी। वो चंद सेकेंड में बड़े-बड़े आंकड़ों को जोड़ने और घटाने का हुनर रखती हैं। शकुतंला देवी ने 1971 में 50 सेकेंड के अंदर 201 अंकों की संख्या के 23 रुट की कैलकुलेशन कर दी थी। इतनी देर में तो 201 अंकों को लिखना भी मुश्किल होता है। इसिलिए तो उन्हें इंसानी कंप्यूटर के खिताब से नवाजा गया था।
जो तबला सुनने का शौकीन नहीं भी होगा। वह भी जाकिर हुसैन के हुनर से वाकिफ होगा। जाकिर हुसैन का 50 साल का लंबा करियर हो चुका है, जोकि बदस्तूर जारी है। उन्होंने बहुत छोटी उम्र से तबला बजाना शुरू कर दिया था। 12 साल की उम्र तक तो वो प्रोफेशनल तबला बजाने लगे थे। जाकिर साहब आज भी साल के औसत 150 कन्सर्ट करते हैं। इनके घर में इतने अवार्ड हो गए हैं कि अब रखने की जगह कम पड़ रही है। इन्हें पद्म श्री से लेकर ग्रैमी अवार्ड तक से सम्मानित किया जा चुका है।
कुमार गंधर्व का असली नाम शिवपुत्र सिद्धरमैया कोमकालिमठ था, लेकिन ये 5 साल की उम्र से ही शास्त्रीय संगीत सुनने के शौकीन है तो इनका नाम कुमार गंधर्व पड़ गया। 20 साल की उम्र में ये गंभीर रुप से बीमार हो गए थे और 6 साल तक सरगम से दूर रहे। लेकिन संगीत के प्रति प्यार इतना गहरा था कि बीमारी से उठकर इन्होंने फिर से ट्रैक पकड़ लिया था। गायकी की दुनिया में जाना पहचाना नाम हैं। और 12 साल की उम्र से ही गाना शुरू किया था।
भारत के गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुज का नाम अदब से लिया जाता है। एडंवास ट्रिगोनोमेट्री में इन्हें महारत हासिल थी। 13 साल की उम्र में रामानुज ने अपनी थ्योरम बनानी शुरू कर दी थी। गणित के 15 टर्म श्रीनिवास रामानुज के नाम पर हैं। इनकी मौत के 77 साल बाद अमेरिका की एक फिल्म गुड विल हटिंग में इनके दिमाग की चर्चा हुई थी।