घड़ी पहनते हैं न? कौन-सी? फास्ट ट्रैक, नेब्युला, सोनाटा, रागा या TITAN? सब टाइटन के ही भाई-बहन हैं। क्या आपको टाइटन के फाउंडर के बारे में पता है? वे देश के बड़े वॉचमेकर में से एक थे। उनका नाम शायद ही आपने सुना होगा। जर्सिज देसाई जो 79 साल के थे, डेंगू से ग्रसित थे (आपको पता भी नहीं चला होगा) आज उनकी घड़ी रुक गई, वक्त ठहर गया और वो दुनिया को अलविदा कह गये। वह एक बहुत बड़े जानवर प्रेमी भी थे।
टाइटन इंडस्ट्रीज़ ने 1986 में घड़ियों का निर्माण शुरू किया था। टाइटन ने खूबसूरती से डिज़ाइन किए शोरूम शुरू करके अपने ग्राहकों का अनुभव रोमांचक और दिलचस्प बना दिया। आज यह नेटवर्क भारत के सबसे बड़े नेटवर्कों में से एक है।
यही नहीं आज टाइटन रु.250 से लेकर रु.3,75,000 तक के मूल्यों के घड़ियों का उत्पादन करती है। आज टाइटन लगभग 26 देशों में उपलब्ध है और यूएई, कतर, ओमान, सऊदी अरब, वियतमान, सिंगापुर, मलेशिया, श्रीलंका, बांग्लादेश और मालद्वीप में यह बेहद मज़बूत है। टाइटन ने ही सोनाटा ब्रांड के तहत देश की पहली टच स्क्रीन घड़ी लांच की थी।
वक्त को खुबसूरत अंदाज़ देने वाले जर्सिज देसाई अब गुज़रे वक्त की कहानी हो गए!
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