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आम इंसान की पुलिस के सामने घिघ्घी बन जाती है फिर चाहे उसके पास सामने वाले की गलती के सबूत हो। खाकी वर्दी वाले जब घेर कर पूछते हैं कि सच सच बताओं कि हुआ क्या था, तो बड़े-बड़े लोगों की जबान अटकने लगती है। लेकिन जो अव्वल दर्जे के शातिर होते हैं वो पुलिस को अपनी उंगलियों पर नचा देते हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में मिला। एक हिंसा के मामले में पुलिस भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन को पकड़ने के लिए उसके घर गई थी। पुलिस उसके घर पहुंची, परिवार वालों से बात की और घर के बाहर कोर्ट का ऑर्डर चस्पा कर दिया, जिसमें लिखा था कि विनय रतन भगोड़ा है।
ऑर्डर चिपकाने के बाद पुलिस अपनी चौकी पहुंची और सुस्ताते हुए इलाइची वाली बिस्कुट का पैकेट फाड़ा मटके का पानी लेकर पूरा घूंट पानी पिया। तभी दरोगा साहब के कान में आकर किसी ने बताया कि जिसको आप विनय रतन का भाई समझ रहे थे, दरअसल वह ही विनय रतन था। और पुलिस से खूब बतिया भी रहा था। वहीं से पुलिस उल्टें पांव लौट आई, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी । विनय वहां से निकल चुका था। अब पुलिस वालों को समझ नहीं आ रहा था कि इस गलती का ठीकरा किसके सिर फोड़ा जाए। क्योंकि उनकी इस गलती के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके थे। और वीडियो पूरे गांव के लोगों के व्हाट्सएप पर खड़काए जा चुके थे।
अब जब मामला ज्यादा गंभीर हो गया तो विनय रतन ने भीड़ के साथ पहुंचकर खुद ही संरेडर कर दिया। पुलिस ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पुलिस से जब इस मामले में सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि हमारे पास रिकॉर्ड में विनय रतन की जो तस्वीर है उससे उसका चेहरा मिल नहीं रहा था, परिवार वाले इतने आत्मविश्वास के साथ बात कर रहे थे हमें शक नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि हम जब घर पहुंचे तो विनय ने खुद को छोटा भाई सचिन बताया था।