यूएस आर्मी दुनिया की सबसे अनुशाषित आर्मी में से एक है। सबसे पावरफुल भी। इसने अपने यहां के नियम में एक बदलाव किया है। जो कि वहां के सिख और दूसरे माइनॉरिटी ग्रुप्स के लिए ख़ुशी की बात है।
यूएस आर्मी सेक्रेट्री ने ये नए नियम जारी किए हैं। इस नियम के हिसाब से आर्मी में काम करने वाले जितने भी ब्रिगेड लेवल के स्टाफ हैं। उनको अब दाढ़ी, मूंछ या हिजाब के साथ भी सर्विस देने की इजाज़त दे दी गई। और उनके ब्रिगेड कमांडर को इसकी इजाज़त देनी होगी। अगर कोई इसकी परमिशन मांगता है। और अगर इससे कोई सीरियस सिक्योरिटी प्रॉब्लम ना आ रही हो। और वो देश सेवा के लिए अपने धर्म से अलग काम करने को तैयार है।
मतलब अब जो सिख या मुसलमान यूएस आर्मी के लिए काम कर रहे होंगे तो उन्हें अब इसकी इजाज़त मिल जाएगी की वो अपने पग और दाढ़ी के साथ भी सर्विस करने की आज़ादी रहेगी।
इससे पहले के इन्हें परमानेंट सर्विस का मौका नहीं मिलता था। वो एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट होता था। जिसे बार-बार या तो बढ़ाया जाता था। या फिर उन्हें कैंसिल कर दिया जाता था। और जब तक अगली इजाज़त नहीं मिलती आप सर्विस में नहीं रह सकते। ये बैन 1984 में लाया गया था।
लेकिन पिछले साल कुछ सिख अमेरिकन सोल्जर ने इसके खिलाफ कोर्ट में अपील की थी। जिसके बाद ये फैसला लिया गया है। जिसे बराबरी के अधिकार के तौर पर देखा जा रहा है।
डिफेंस सर्विस नियम के मुताबिक़ किसी भी धर्म या जाति से परे किसी भी आर्मी पर्सनल को अपने बाल कटवा के रखने हैं नियम के मुताबिक़। दाढ़ी बढ़ाने की इजाज़त नहीं है। उन्हें बिल्कुल क्लीन शेव रहना है। एकदम चिक्कन। और अगर मूंछें रखने का मन हो तो वो भी एक कायदे तक ही लंबी की जा सकती हैं।
ऐसे धर्म जिनमें बिल्कुल ही मनाही है दाढ़ी-मूंछें कटवाने की उनको अपने दाढ़ी और बाल इन सब को सलीके से रखना है। कायदे से सिख धर्म के लोगों को।
एयर फ़ोर्स के नियम भी लगभग ऐसे ही हैं। उनमें भी सिखों को आज़ादी दी गई है। क्योंकि धर्म अपनी जगह है और देशसेवा भाव अपनी जगह। और दोनों का ही सम्मान किया जाना जरूरी है।
नेवी में कमांडिंग अफ़सर की इजाज़त से दाढ़ी और मूंछ बढ़ाई जा सकती है। उसमें भी दाढ़ी के साथ मूंछें भी होनी ज़रूरी है। बिना मूंछों के नहीं।
लड़कियों के लिए भी कायदा है। बाल अच्छे से बंधे होने चाहिए। डार्क या बहुत ज्यादा तड़क-भड़क वाले नेलपोलिस लगाने की इजाज़त नहीं है। मेक अप भी एक सीमा तक।
लेकिन पिछले महीने यानी दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद ये बहस एक बार फिर से सामने आ गई। जिसमें कोर्ट ने अफ़ताब अहमद के सस्पेंसन को जायज़ ठहरा दिया। मतलब आफ़ताब के केस को ही डिसमिस कर दिया।
आफ़ताब को 2008 में एयर फ़ोर्स से हटा दिया गया था। क्योंकि उन्होंने अपने ऑफिसर की इजाज़त के बिना ही अपनी दाढ़ी बड़ी कर ली थी। और जब उनसे इसे शेव करने को कहा गया था तो उन्होंने इसे मानने से मना कर दिया था।
आफ़ताब का कोर्ट में कहना था कि मेरे धर्म के हिसाब से मुहे अपनी दाढ़ी बढ़ाने की इजाज़त है। लेकिन कोर्ट ने मानने से मना कर दिया।
कोर्ट ने एयर फ़ोर्स की बात सुनी। जिसमें ये कहा गया था कि मुस्लिम धर्म में दाढ़ी रखने का कोई एकदम ही जरूरी नियम
नहीं है।
2003 में इसको लेकर जबकि एक प्रोवीजन आया था जिसके मुताबिक 2002 में सर्विस में आए लोगों ने अगर जॉइनिंग के वक़्त दाढ़ी रखी थी तो उन्हें इसे रखने की इजाज़त थी। बाद बाकी किसी को सर्विस में आने के बाद बढ़ाने की इजाज़त नहीं थी।
जो भी हो डिफेंस के अपने नियम और कायदे हैं। जो कि अपनी जगह जरूरी भी है। बस, अमेरिका से खबर आई तो लगा हमारे यहां के क्या कायदे हैं। जान लिया जाए। और किसी को अगर किसी नियम से कोई खास शिकायत है तो उसे भी कोर्ट तक जाने की आज़ादी है। न्यायपालिका जो फैसला दे उसे मानना हमारी ड्यूटी भी है।