Home Fun Viral And Trending Hyderabad Is Opening A New Concept Of Human Library

हैदराबाद की एक लाइब्रेरी में अब आपको मिलेंगी 'इंसानी किताबें'

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Tue, 02 May 2017 03:15 PM IST
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human library
human library - फोटो : scoopwhoop
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जब से तकनीक ने हमारे जीवन में एंट्री की है उसके बाद से ही किताबें जैसे धीरे-धीरे हमसे दूर होती जा रही हैं। अभी भी लोग घर पर किताबों का ढेर लगाना पसंद करते हैं। जब भी शहर में कोई पुस्तक मेला लगता है तो बहुत से लोग वहां से कई किताबें लेकर आते हैं लेकिन बमुश्किल कुछ ही पढ़ पाते हैं। पढ़ना हम में से बहुत से लोगों के जीवन से जैसे गायब होता जा रहा है।

लोग अब किताबों से हटकर ब्लॉग, फेसबुक पोस्ट पढ़ना पसंद कर रहे हैं। क्योंकि हर किसी के हाथ में मोबाइल फोन है और हर कोई उसपर ही पढ़ना-लिखना पसंद कर रहा है। बहुत से लोगों को कागज और कलम का इस्तेमाल किए हुए कई-कई दिन हो जाते हैं। लेकिन पढ़ना बहुत जरूरी है। इससे बौद्धिक स्तर का विकास होता है। यही वजह है कि एक छात्र ने लोगों के लिए एक बिल्कुल नए तरह की लाइब्रेरी बनाई है। यह है 'ह्यूमन लाइब्रेरी' यानी इंसानी पुस्तकालय। इसकी खास बात यह है कि यहां जाकर आपको किताबें पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि आपको कुछ इंसानी किताबें खुद किस्से-कहानियां सुनाएंगी।
 

हर्शद मास मीडिया एंड कम्युनिकेशन के छात्र हैं। उन्होंने ही इंसानी पुस्तकालयों का कॉन्सेप्ट बनाया है। इसमें होता यह है कि यहां कुछ लोग विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय या किस्से-कहानियां, और कुछ तथ्य आपको खुद सुनाएंगे। ऐसे में आपको किताब पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि कोई दादी-नानी की तरह आपको सब-कुछ सुना देगा। 

यहां सिर्फ एकतरफा बात-चीत नहीं होगी बल्कि यह एक 'इंटरैक्टिव सेशन' की तरह होगा। यानी आप इन इंसानी किताबों से सवाल-जवाब भी कर सकते हैं। आमतौर पर कोई पुस्तक पढ़ते समय आपको अपने सवालों के जवाब खुद ढूंढने पड़ते हैं लेकिन यहां आपको सब कुछ समझाने के लिए एक व्यक्ति मौजूद होगा। यह एक बेहद नया तरीका है लोगों को पुस्तकालयों की तरफ आकर्षित करने का। इस बारे में सुनकर आपको थोड़ा अचंभा जरूर हुआ होगा और यही अचंभा लोगों को इस पुस्तकालय के करीब ले जाएगा।
 

जब हर्षद से पूछा गया कि वो समाज को बदलने की नियत से यह सब कुछ कर रहे हैं, तो इसपर उन्होंने कहा कि मैं ऐसा बिल्कुल नहीं मानता क्योंकि लोगों को पहले से चली आ रही बातों से दूर करना बेमानी बात है। यह कोई आसान काम नहीं है और इसमें काफी समय भी लगता है। वो कहते हैं कि हम एक ऐसा ढांचा तैयार करना चाहते हैं जिसमें लोग अपनी मान्यताएं लेकर हमारे पास आएं और फिर बहस के माध्यम से हमें चुनौती दें। 

यह दुनिया की पहली 'ह्यूमन लाइब्रेरी' नहीं है बल्कि इससे पहले डेनमार्क में ऐसी ही एक चेन की शुरुआत की गई थी। हर्षद कहते हैं कि मुझे वहीं से इसकी प्रेरणा मिली। हर्षद कहते हैं कि 'ह्यूमन लाइब्रेरी' किस्से-कहानी सुनाने से कहीं ज्यादा है। यह सवाल-जवाब का मंच है। यहां लोग कठिन सवालों का जवाब जानने आना चाहेंगे। 
 

हर्षद और उनके दोस्त समय-समय पर कुछ चर्चाएं करवाते हैं। इसमें हर किसी के पास कुछ विकल्प होते हैं। व्यक्ति अपनी मर्जी की कैटेगरी से अपनी इंसानी किताब चुन सकता है। अगर किसी के पास लोगों से साझा करने के लिए कुछ खास है तो वो खुद इंसानी किताब बन सकता है। लोग 30 मिनट के लिए अपनी मनपसंद 'ह्यूमन बुक' पढ़ सकते हैं। इस दौरान कोई कितने भी सवाल-जवाब पूछ सकता है। 

वैसे तो एक बार में एक व्यक्ति ही एक ह्यूमन बुक से बात-चीत कर सकता है लेकिन अगर लोग अधिक हों और सबने एक ही किताब की मांग की हो तो यह एक ग्रुप इंटरैक्टिव सेशन भी हो सकता है। यह अपने आप में एक बेहद अच्छी पहल है। शायद अब लोग इन जीवंत पुस्तकालयों में जाने के लिए उत्सुक होंगे।
 

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