Home Fun Viral And Trending Obasi Shaw A Harvard Student Submitted His Thesis In A Very Musical Way

हारवर्ड के इस छात्र ने बिल्कुल नए अंदाज में पूरी की अपनी 'थीसिस'

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Tue, 23 May 2017 02:57 PM IST
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Obasi shaw
Obasi shaw - फोटो : independent
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आप सब बखूबी जानते होंगे कि कॉलेज के प्रोजेक्ट और असाइनमेंट का मतलब क्या होता है। पहले लोग किताबों से छापा करते थे अब मामला इंटरनेट तक पहुंच गया है। कई लोग असाइनमेंट ठीक एक दिन पहले बनाते हैं, जब उनको लगता है कि अब बचने का कोई चारा नहीं है। बेचारे प्रोफेसर भी उनके आगे हाथ फैलाते हैं कि प्लीज अपना प्रोजेक्ट दे दो तो हम तुम्हें नंबर दे दें! ऐसा लगता है जैसे नंबरों की जरूरत स्टूडेंट्स को नहीं बल्कि टीचर को होती है।

गूगल बाबा के पास हर बात का जवाब है, यह बात तो सभी जानते हैं। यही वजह है कि लोग आजकल अपने काम पर मेहनत नहीं करते और बस किसी तरह से अपना प्रोजेक्ट निपटा कर आगे बढ़ जाते हैं। दूसरी बात ये कि आमतौर पर किसी भाषा के प्रोजेक्ट बेहद बोरिंग हो सकते हैं। लेकिन हारवर्ड यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट ने अपनी थीसिस बेहद अनोखे अंदाज में पूरी की है और उसकी इस थीसिस ने उसे गूगल में नौकरी दिलवा दी है।
 


 

ओबसी शॉ हार्वर्ड के इतिहास में पहले ऐसे छात्र हैं जिन्होंने अपनी थीसिस एक गाने के रूप में पूरी की है। उसपर भी यह कोई आम गाने जैसा नहीं है बल्कि एक रैप है। शॉ हार्वर्ड के इंग्लिश डिपार्टमेंट के स्टूडेंट हैं। उन्होंने एक पूरा एल्बम तैयार किया है जिसका नाम है 'लिमिनल माइंड'। इसपर उन्हें A- मिला साथ ही उन्हें गूगल में नौकरी भी मिल गई है। शॉ अपनी इस सफलता से बेहद खुश हैं। वो कहते हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके इस प्रयास को हारवर्ड कभी अपनाएगा। 



शॉ की इस एल्बम में कुल 10 ट्रैक हैं। शॉ बताते हैं कि इनके ये गाने यह बताते हैं कि अमेरिका में एक काले व्यक्ति के लिए परिस्थितियां कैसी होती हैं। यानी अमेरिका में काला होने का क्या मतलब होता है। वो कहते हैं कि हर गाने को अलग किरदार की नजर से लिखा गया है। शॉ को यह आईडिया उनके लेक्चरार जोश बेल ने दिया। वो भी शॉ को एक बेहद गंभीर और अच्छा कलाकार मानते हैं। जोश का कहना है कि शॉ ऐसे गाने तैयार करते हैं जिसे यूनिवर्सिटी और रैप इंडस्ट्री, दोनों ही पसंद करेंगे।

शॉ को ये थीसिस पूरा करने में करीब एक साल का समय लगा। इसमें उनके दोस्तों ने भी काफी मदद की। शॉ फिलहाल अपने काम से खुश नहीं हैं और वो इसपर और मेहनत करना चाहते हैं। ये प्रोजेक्ट लेने का बेहद नया तरीका है, हमारे देश में भी अगर भाषा के विषय के प्रोजेक्ट इस तरह से बनाने की छूट मिलने लगे तो कई छिपे हुए टैलेंटेड लोग सामने आ जाएंगे। 

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