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कश्मीर मुद्दे के मामले पर बुधवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह एक मीटिंग कर रहे हैं। मीटिंग में सभी 20 पार्टियों के लोग शामिल होंगे। जो पिछले सप्ताह गृह मंत्री के साथ कश्मीर गए थे।
नेताओं की टीम कश्मीर क्यों गई थी?
ताकि वहां शान्ति के लिए जो लोकल पार्टी हैं और जो अलगाववादी नेता लोग हैं, उनसे बात की जाती। लेकिन वहां पर एक भी अलगाववादी नेता इनसे बात करने को तैयार नहीं हुए। न ही कोई वहां बातचीत के लिए पहुंचा। और जब लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी और जनता दल यूनाइटेड के शरद यादव उनके घर तक पहुंचे, तो उनलोगों ने अपने घर के दरवाज़े तक नहीं खोले थे। इसके बाद वहां कुछ देश-विरोधी नारेबाज़ी भी की गई। और इन सब को वापस लौटना पड़ा।
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इसके बाद क्या हुआ?
इसके बाद जो सभी नेता लोग कश्मीर गए थे। सब लौट के दिल्ली आ गए। करीब 20 पार्टियों के 26 नेता लोग वहां पहुंचे थे। अब मंगलवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह, प्रधानमंत्री से मिले। पार्टी के और दूसरे सीनियर नेताओं से मिले। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से भी मिले। और कश्मीर में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में बताया गया। इसके बाद आज मीटिंग हो रही है।
मुद्दा क्या है मीटिंग का, कौन लोग हैं मीटिंग में?
मीटिंग का मुद्दा क्लियर है कि कश्मीर में जो हालत बिगड़े हुए हैं। उनको ठीक करना है। कैसे ठीक करना है इसके लिए पूरा प्लान तैयार करना है। और जो अलगाववादी नेता लोग हैं। जिसमें सैय्यद अली साहब गिलानी, मिर्वाइज उमर फारुख़ और यासीन मलिक जैसे लोगों पर नकेल कसने पर भी चर्चा होगी। और वहां जो गवर्नमेंट फैसिलिटी हैं वो सब सही ढंग से पहुंच भी रही हैं या नहीं। इसके लिए एक एडमिनिस्ट्रेटिव टीम भी तैयार की जाएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली और सभी 26 नेता जो कश्मीर गए थे इस मीटिंग में जाएंगे।
अलगाववादियों को क्या सुविधा मिलती है, अभी सरकार से?
एक मिनट थोड़ा ठंढा पानी पी के आगे पढ़िएगा। काहे कि इन जैसे लोग जो केंद्र के नेताओं से मिलना भी नहीं चाहते। उनको क्या-क्या सुविधा मिलती है। और आपके टैक्स का पैसा कहां-कहां जा रहा है। जेएनयू के नाम पर आप जितना हव्वा मचाये थे। सब बंद हो जाएगा।
इन अलगाववादी नेताओं के सुरक्षा की जिम्मेवारी हमारे सरकार की। मतलब जो भी सिक्योरिटी वगैरह है उसका इंतज़ाम सरकार करे। ये अगर बीमार पड़ते हैं तो इनके इलाज का इंतज़ाम भी सरकार ही करती है। यहां तक तो ठीक है।
अब अगर ये लोग कहीं विदेश घूमने जाते हैं। तो उसका खर्च भी भारत सरकार ही उठाती है। और तो और जब ये लोग दिल्ली या देश के दूसरे हिस्से या कहीं घूमने जाते हैं तो इनके रहने का इंतज़ाम भी सरकारी आवास में किया जाता है।
लेकिन अब ये इनकी जो घर बैठे रईसी चल रही थी वो अब खत्म होने वाली है। आज जो मीटिंग हो रही है उसमें इनको जो भी फैसिलिटी मिलती है उसको काटने पर बातचीत होगी। उसके बाद इनके जो बैंक अकाउंट हैं उनकी भी अलग से जांच होगी।
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ये वाली बात शायद सही हो। अगर आज की मीटिंग के बाद इसपर मुहर लग जाती है तो। क्योंकि इन अलगाववादी नेताओं के बच्चे विदेशों में होते हैं। और यहां ये सरकारी पैसे पर ऐश करते हैं। घर बैठे एक फ़ोन घुमाते हैं और कश्मीर में आग लग जाती है।
बेहद ज़रूरी मुद्दा है ये। क्योंकि कश्मीर में जितने भी बवाल कटते हैं उन सब के लिए ये सब लोग बहुत हद तक जिम्मेवार होते हैं। ख़बरों के मुताबिक। और जो कश्मरी के लोग हैं बेचारे उनकी ज़िंदगी नरक हो रही है।
पढ़ते रहिए Firkee.in, बातें जो ज़रूरी हैं उसके लिए।