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VIRAL VIDEO: मिनरल वॉटर पी रहे हैं नागराज!

Updated Tue, 04 Apr 2017 06:26 PM IST
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पानी पीता हुआ कोबरा
पानी पीता हुआ कोबरा - फोटो : videograb
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'किंग कोबरा...' इस नाम से ही जेहन थरथराने लगता है लेकिन तस्वीर में दिख रहा 'नागराज' शायद अपनी फितरत से उलट है। सांपों के महाराज को 'महाराजा स्टाइल' पसंद है। महाराजा नागराज धरती के 'सबसे कूल किंग कोबरा' पुकारे जाने लगे हैं। इसकी एक बानगी आप इस तस्वीर और वीडियो में देखिए जो कुछ ही दिनों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वजह ही कुछ ऐसी है।

'नागदेवता' को पीने के लिए 'मिनरल वॉटर' जो चाहिए। ...और नागलोक में मिनरल वॉटर आए कहां से! तो फिर तय हुआ कि इंसानी बस्ती में चला जाए। अब भई, आप नागलोक के राजा हैं तो होंगे, लेकिन काली खोपड़ी वाले की बस्ती में प्रभाव जमाना है तो इंसानों जैसे सलीके में पेश आना ही पड़ेगा। आप खुद देखिए.. कितने सलीके से इंसानों की तरह बोतल से गटागट पानी पीते जा रहे हैं नागराज। 
 
खैर ये तो कहने की बात हैं, लेकिन आप मानें न मानें मसला बेहद मार्मिक है। सोशल मीडिया पर धूम मचाने वाले इस वीडियो में दिखाई दे रहे किंग कोबरा की हालत लगातार हो रहे 'जलवायु परिवर्तन' की भविष्य में होने वाली भयावह स्थिति की तस्दीक कर रही है। 

दुनिया भर के देशों ने भले ही अपनी डिप्लोमेसी में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को एक खास अंग के रूप में रखा है, लेकिन मामला डिप्लोमेसी का नहीं, संवेदनशीलता है। नागराज की तस्वीर को साक्षात परिणाम के बतौर लेना होगा। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि आज नागराज को तड़पता देख इंसान उसे पानी पिलाने के लिए आगे आया है, लेकिन हम ऐसे ही पेड़ काटते रहे और दिनों दिन हो रहे जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को नजरअंदाज करते रहे तो कल इंसानों को पानी पिलाने के लिए कौन आगे आएगा? 
 

फिलहाल किंग कोबरा के बारे में इतना ही पता चला है कि उसे दक्षिण भारत के किसी सूखाग्रस्त इलाके में पानी की तलाश करते देखा गया। वन्यकर्मियों ने देर न करते हुए उसे बचाया और पानी पिलाया। पानी ने इस किंग कोबरा को प्रकृति के कोप से बचा लिया। इसलिए सर्वविदित बात कि 'जल ही जीवन है' फिर साबित हुई। हालांकि यह साबित करने वाली बात नहीं है, बस आपका ध्यान खींचने के लिए फिर से कही है। 

दोस्तों गर्मी फिर से अपनी चरम सीमा की ओर बढ़ रही है। कई इलाकों में अभी से सूखे की आहट होने लगी है। इनमें बुंदेलखंड और महाराष्ट्र के विदर्भ का इतिहास को देखते हुए बिना खबरों के ही इन्हें सूखे की फेहरिस्त में शामिल कर लिया जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। हमें यह समझना होगा कि सूखा कोई दैवीय आपदा नहीं, बल्कि हमारी-आपकी दिनचर्या और रहन-सहन का नतीजा है।
 


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