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आज, रविवार को फिर कश्मीर में हंगामा हो गया। जम्मू कश्मीर के शोपियां में। जिसमें फिर 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। कुछ लोग सीरियस भी बताए जा रहे हैं। हज़ारों लोग आज फिर से सड़कों पर प्रोटेस्ट करने निकले थे। ये प्रोटेस्ट हुर्रियत के जो नेता लोग हैं, उन्होंने बुलाया था।
लेकिन सिक्योरिटी वाले लोग उन सब को रोक दिए। जिसके बाद हंगामा हो गया। जिसमें जम्मू कश्मीर का मिनी सचिवालय कहा जाने वाला, एक सरकारी भवन है उसमें आग लगा दिया गया। ये सब हो रहा है तब, जब आज ही दिल्ली से ऑल पार्टी डेलिकेट जम्मू कश्मीर पहुंची है।
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आज क्या होना है कश्मीर में?
आज दिल्ली से सभी पार्टी के लोग जम्मू कश्मीर पहुंचे। ये लोग पहुंचे हैं ताकि कश्मीर के हालत पर वहां बात-चीत हो। जो लोग भी कश्मीर में शान्ति चाहते हैं। उन सब से बात-चीत की जाएगी। जम्मू कश्मीर की जो मुख्यमंत्री हैं, महबूबा मुफ़्ती। उन्होंने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं को भी बुलावा भेजा था। वो भी पीडीपी चीफ के तौर पर। बुलावे में उनसे ये कहा गया था कि आप भी आइए। कश्मीर के लेकर बात-चीत कीजिए। बावजूद इसके कि हुर्रियत वाले बात करने को तैयार नहीं थे।
आज सुबह ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह कश्मीर के लिए निकालने से पहले ये बोल रहे थे कि हम हर उस आदमी से बात करने के लिए तैयार हैं जो कश्मीर में शान्ति चाहते हैं।
आज पहुंचते ही सब लोग पहले महबूबा मुफ़्ती से मिले। फिर जो कश्मीर के अप्पोज़िशन पार्टी मतलब विपक्ष में जो पार्टी है नेशनल कॉन्फ्रेंस। उनके नेता उमर अब्दुल्लाह से मुलाकत होनी है। फिर शेर-ए-कश्मीर ऑडिटोरियम में कश्मीर की जो भी पॉलिटिकल पार्टियां हैं उन सब से मुलाक़ात भी होनी है। लेकिन अब ये हंगामा हो गया।
Firkee पूछता है:
अब सवाल ये है कि ये हुर्रियत वाले जो नेता लोग हैं। वो बात-चीत भी नहीं चाहते। तो चाहते क्या हैं? हंगामा होता रहे। कश्मीर में लोग ऐसे ही घायल होते रहें। फिर हंगामे में किसी की मौत हो जाए। और फिर कश्मीर में आग लग जाए।
और ये कश्मीर के लोग क्यों नहीं ऐसे लोगों को नकारते हैं। अब उन लोगों ने आज सुबह प्रोटेस्ट बुलाया तो लोग सड़क पर उतर गए। हंगामा हुआ। एक सरकारी बिल्डिंग में आग लगा दिया गया। आखिर ये कश्मीर का ही नुकसान है ना!
ये कश्मीर के लोग जिन हुर्रियत के नेताओं के कहने पर हंगामे करने लगती है उनसे कभी क्यों नहीं पूछती कि तुम्हारे बच्चे कहां हैं? क्या सिर्फ हमारे बच्चे ही विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरें? तुम वहां अपने कमरे से बस एक एलान कर देते हो, मरते तो आम लोग हैं। तुम्हें दुनियाभर की सिक्योरिटी मिल जाती है। पैसे हैं तुम्हारे पास, हमारा क्या होगा?
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सोचने वाली बात है। आपलोगों के दिमाग में पता नहीं ये बातें आती है कि नहीं। जब कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में कर्फ्यू लगा था। तब वहां टूरिज्म बंद होगा। दुकानें बंद रही होंगी। लोगों की कमाई का ही तो जरिया बंद हुआ ना। अब लोग कमाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या?
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फिर लोग सवाल करते हैं, क्यों नहीं सरकार इन हुर्रियत के नेताओं को उठा के जेल में डाल देती है? तो उनसे मेरा सिर्फ इतना ही कहना है, ये सब बात ठीक है। हां, अगर देश की शान्ति कोई खत्म कर रहा है। तो उसको उठाओ और जेल में डालो। कोर्ट के सामने पेश करो।
लेकिन ये सब इतना आसान होता तो अब तक कर लिया गया होता। अगर इन लोगों को कानून के सामने लाएंगे तो कानून इनको किस जुर्म में जेल में डालेगी? और अगर कहीं से कुछ हो भी जाएगा भैया जी, तो पॉलिटिक्स करने के लिए इनके पास बचेगा क्या?
ये किस मुद्दे पर आप लोगों को उल्लू बनाएंगे? राजनीति जीते जी मर नहीं जाएगी। सब गोल माल है। आप और हम ऐसे ही बेवकूफ बनते रहेंगे। वरना सरकार अगर चाहे तो थोड़े कड़े फैसले लेकर चीज़ों को ट्रैक पर लाया जा सकता है। लेकिन चाहता कौन है कि सब ठीक हो जाए। फिर आप वोट देने क्यों जाएंगे!
पढ़ते रहिये Firkee.in नो उल्लू बनाविंग!