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भारतीय राजनीति के इतिहास में बहुत से राज़ छिपे हुए हैं। समय-समय पर ये राज़ किसी न किसी तरीके से हम-आप तक पहुंचते रहते हैं। ये बातें हमें अंदर तक हिला कर रख देती हैं। जैसे सीआईए की हालिया रिपोर्ट में जो बात सामने आई है उसके बारे में सोचकर यही लगता है कि कहीं अगर ये बात सच हो जाती तो क्या होता।
इस रिपोर्ट के मुताबिक़ इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थीं, तो एक समय ऐसा भी आया था जब भारत पाकिस्तान के कहुटा न्यूक्लियर पॉवर प्लांट पर हमला करके उसे ध्वस्त करने वाला था। है न ख़तरनाक बात? सोचिए अगर ऐसा कुछ हो जाता तो क्या होता!
इस प्लान को अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते ड्रॉप करना पड़ा।
1981 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कहुटा प्लांट को ख़त्म करने की तैयारी कर ली थी। ये फ़ैसला इज़राइल के इराक़ पर हमले की देखा-देखी लिया गया था। इज़राइल रातों-रात अपने कई दुश्मन देशों को पार करता हुआ इराक़ पहुंचा और उसने हवाई बम गिराकर इराक़ के निर्माणाधीन न्यूक्लियर रिएक्टर को ख़त्म किया और आराम से लौट भी आया। भारत ने भी ऐसा ही कुछ करने के बारे में सोचा था लेकिन इसके बाद शायद दुनिया के एक हिस्से में न्यूक्लियर वॉर शुरू हो जाती।
इज़राइल के इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन बेबीलोन' के नाम से भी जाना जाता है और इसे 7 जून 1981 में अंजाम दिया गया था। इन दस्तावेज़ों में ये भी लिखा है कि यू एस के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने जनरल ज़िया-उल-हक़ को एक पत्र भिजवाया था जिसमें भारत की मंशाओं का ज़िक्र किया गया था।
भारत के इस प्लान के बारे में यूएसएसआर को भी पता था और ये बात आग की तरह फैलती जा रही थी। अफ़वाहों की मानें तो इंदिरा गांधी को ये परामर्श भारतीय सेना द्वारा दिया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार इज़राइल जामनगर को अपने बेस के रूप में इस्तेमाल करना चाहता था। 1984 में इंदिरा ने इसको मंज़ूरी भी दे दी थी। लेकिन जब अमेरिका ने दखलअंदाज़ी की तो इंदिरा जी को पीछे हटना पड़ा।
कुछ रिपोर्ट्स का माना है कि विएना में एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तानी वैज्ञानिक इंडियन एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चीफ़ राजा रमन से मिले और उन्होंने ट्रोमबे में भारत के एटॉमिक पॉवर प्लांट पर हमला करने की चेतावनी दी जिसके बाद भारत पीछे हट गया।
लेकिन लोगों की माने भारत पर इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ा 1984 में एक बार फिर हमले की तैयारी शुरू कर दी।
फाइनली जब भारत को ये पता चला कि पाकिस्तान ने अपनी जनता को भी इसके बारे में आगाह कर दिया है और अपनी तैयारी शुरू कर दी है तो सरकार ने ये प्लान ड्रॉप कर दिया। असल में भारत पाकिस्तान को एक सरप्राइज़ देना चाहता था जिसके बारे में अब सभी को पता चल चुका था।