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कहते हैं आवश्यकता ही अविष्कार जननी होती है। अगर सही समय पर आवश्यकता को समझ लिया जाए तो आपका उद्देश्य आविष्कार के रुप में सामने आ सकता है। दसवीं के छात्र आकाश मनोज को ऐसी ही एक आवश्यकता तब महसूस हुई जब उनके दादा जी का देहान्त हो गया। साइलेंट हार्टअटैक से उनके दादा जी के मौत ने आकाश को हिलाकर रख दिया था। साइलेंट हार्टअटैक उसको भी आ सकता है जिसे देखकर ये सोचा भी नहीं जा सकता कि इन्हें कोई बीमारी होगी। अच्छे खासे तंदुरुस्त दिखने वाले कई लोग इस साइलेंट हार्ट अटैक की चपेट में आ चुके हैं। अपने दादा जी की मौत के बाद तमिलानाडु के रहने वाले आकाश मनोज ने निश्चय कर लिया कि इस साइलेंट हार्ट अटैक से हिसाब चुकता करके रहेंगे।
15 साल के आकाश ने साइलेंट हार्टअटैक के बारे में शोध किया और उस खास तकनीक को ईजाद कर लिया जिससे इस बीमारी के लक्षण को पहचाना जा सके। दरअसल हमारे खून में एक खास तरह का प्रोटीन FABP3 होता है जो इस बात के संकेत देता है कि साइलेंट हार्ट अटैक के कितने चांस हैं। आकाश की तकनीक से इसी प्रोटीन की मात्रा को नापने का तरीका पता चलता है।
आकाश की तकनीक में त्वचा को पंक्चर करने की जरूरत नहीं होती। एक यूवी लाइट से शरीर को स्कैन करके आपके खून में मौजूद FABP3 प्रोटीन की गणना की जा सकती है। आकाश बताते हैं कि FABP3 प्रोटीन की तासीर निगेटिव होती है और यह पॉजिटिव एनर्जी की तरफ आकर्षित होता है। जब यूवी किरणें हमारे त्वचा के ऊपर से गुजरती हैं तो ये उनकी तरफ आकर्षित हो जाता है। इस तरह से FABP3 प्रोटीन के बारे में पता चल जाता है। इस प्रोटीन की गणना के साथ इस बात का भी विश्लेषण किया जा सकता है कि आपको साइलेंट हार्टअटैक के कितने चांस हैं।
आकाश बताते हैं कि 100 में से सिर्फ 2 प्रतिशत लोग ही साइलेंट हार्ट अटैक से बच पाते हैं। इस तकनीक के इस्तेमाल से हजारों लाखों जिंदगियों को बचाया जा सकता है। इस तकनीक को कई देशों ने अपना लिया है और 2019 के बाद से इसका इस्तेमाल भी शुरू हो जाएगा।
आकाश जब आठवीं क्लास में पढ़ते थे उन्होंने तभी से इसकी तैयारी शुरू कर दी थी। वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की लाइब्रेरी जाने लगे थे। हालांकि ये लाइब्रेरी उनके घर से काफी दूर थी लेकिन जो जनर्ल्स उन्हें पढ़ने होते थे वो काफी महंगे आते हैं। वो बताते हैं कि जितनी स्टडी मैटेरियल मैंने पढ़ी है उसकी कीमत करोड़ों में होगी। इतनी किताबें और स्टडी मैं अफोर्ड नहीं कर सकता था। इसलिए लाइब्रेरी जाने के सिवा कोई चारा नहीं था।
मेडिकल साइंस में रुचि रखने वाले आकाश को उनके आविष्कार के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। साथ ही इनोवेशन स्कॉलर्स इन रेजिडेंस कार्यक्रम में बुलाया भी जा चुका है। इस प्रोग्राम में नए आविष्कारकों, लेखकों और विभिन्न कलाकारों को एक हफ्ते से ज्यादा समय तक राष्ट्रपति भवन में रहने का मौका मिलता है। आज वो दुनिया भर में अपने अविष्कार से लोगों को जागरुक कर रहे हैं ताकि साइलेंट हार्ट अटैक के बारे में उन्हें पता चल सके।