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उड़ता पंजाब नहीं अब उड़ रहा है उत्तराखंड, सरकारी जमीन पर हो रही नशे की खेती

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: नीलम त्रिपाठी Updated Thu, 09 Jan 2020 02:14 PM IST
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CONCEPT - फोटो : सोशल मीडिया
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आपने उड़ता पंजाब तो देखी होगी जिसमें नशे की लत में डूबा पंजाब बड़े अच्छे से दिखाया गया है। लेकिन नशे की लत पंजाब तक ही सीमित नहीं है उत्तराखंड में भी लोग अब महंगा नशा करने लगे हैं जो कि सरकारी जमीन में उगाया जाता है।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में नशे का प्रचलन बढ़ रहा है। शराब और चरस के साथ ही अब यहां अफीम और स्मैक जैसा महंगा नशा भी तेजी से पैर पसार रहा है। हैरत की बात तो यह है कि पोश्त से बनाई जाने वाली अफीम जिले में ही तैयार हो रही है। धंधे में लिप्त लोगों के लिए वन विभाग की बंजर जमीन दुधारू गाय साबित हो रही है।
यहां वन विभाग की बंजर जमीन पर आज भी पोश्त की खेती हो रही है। इस धंधे में शामिल लोग पोश्त के बीज जंगल में डाल देते हैं। फसल पकने पर इससे अफीम तैयार की जाती है। नारकोटिक्स विभाग के अभियान चलाने के बावजूद इस खेती पर रोक नहीं लग सकी है। 
अब आप सोच रहे होंगे कि वन विभाग इस पर कुछ क्यूं नहीं कर रहा?लेकिन ऐसा नहीं है पिछले साल ही विभाग क्षेत्र में पोश्त की खेती को नष्ट कर मामले में करीब 50 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर चुका है। ये तो लोग ही ऐसे हैं जो मानते नहीं है। 
करीब चार दशक पहले तक उत्तरकाशी जिले के गांवों में कच्ची शराब ही चलती थी और ये सीमित इलाके में ही मिलती थीं लेकिन समय का पहिया घूमा और जगह-जगह ये शराब आसानी से मिलने लगीं। आलम ये है कि कम उम्र के युवा भी शराब के नशे की चपेट में आ गए हैं। महज करीब साढ़े तीन लाख आबादी वाले जिले में खुली 16 सरकारी शराब की दुकानों से सरकार ही सालाना 45 करोड़ रुपये राजस्व वसूल रही है।
शराब के साथ ही अब चरस, अफीम, गांजा और स्मैक जैसा नशा भी जिले में तेजी से बढ़ रहा है। जिले की बंजर जमीन पर प्राकृतिक रूप से उगने वाली भांग से जहां चरस तैयार हो रही है, वहीं, पोश्त की खेती से अफीम भी बनाई जा रही है। बीते कुछ सालों से देहरादून जैसे बड़े शहरों से स्मैक का नशा जिले तक पहुंच गया है। 
अब अगर सरकारी जमीन पर ही नशे की खेती हो रही है और राज्य सरकार इस पर रोक नहीं लगा पा रही है तो इसमें किसकी गलती है यह बताने की जरूरत शायद आपको नहीं है। 
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