Home Inspire Hindi Love Story Bangalore Days

काश! मैं उस दिन अपनी निगाहें उठाकर मुस्कुरा देता...

Updated Sat, 19 Mar 2016 05:30 PM IST
विज्ञापन
LOVE2
LOVE2
विज्ञापन

विस्तार

"अवि, तुम कहते हो कि प्यार में होना सिर्फ तुम्हारा फैसला नहीं है... तो फिर? कोई मैजिक हो जाता है? अवि, मैं तुम जानते हो मैं कितनी रियलिस्टिक हूं। मैं मैजिक पर यकीन नहीं करती।" मैं अवि की आंखों में देखने लगी। अक्सर मेरे जवाब वहीं मौजूद होते थे। पहली निगाह में वह कहीं से साफ्वेयर इंजीनियर नहीं लगता था। थिएटर आर्टिस्ट की तरह लंबे-लंबे घुंघराले बाल, चश्मे के पीछे थोड़ी उलझन भरी निगाहें, लंबी कद-काठी पर ढीली-ढाली शर्ट और जींस। वो बोलता भी थोड़ा रुक-रुककर था। मेरी सहेली तरु के शब्दों में थोड़ा सिलबिल्ला था। वैसे इस शब्द की क्या मीनिंग है ये मुझे नहीं पता पर उस पर फिट बैठता था। 
"काश यह सब कुछ इतना आसान होता, जितना तुम कहती हो..." वह अपनी कॉफी के झाग में धीरे-धीरे डूबते शुगरक्यूब को देखता रहा। "कम ऑन अवि! चीजों को ओवर कांप्लीकेटेड मत बनाओ..." मैंने कहा। कॉफी हाउस के बार लाइट्स जल रही थीं और एक पतंगा बाहर निकलने की कोशिश में बार-बार शीशे से टकरा रहा था। 
"तो उन्हें इतना ओवर सिंप्लीफाई भी मत कर दो कि भीतर से उठती आवाज भी न सुनाई दे।" उसने मेरी ओर जिद भरी निगाह से देखा। "तुमने बैंगलोर क्यों छोड़ दिया?" मैंने पुछा। 
"इसीलिए क्योंकि मैं अपनी लाइफ को ओवर सिंपलीफाई नहीं कर पा रहा था।" उसने सोफे पर हल्की सी टेक लगाई और उसी तरह से गुम हो गया जैसे कि अक्सर हो जाया करता था। 
?
अवि ने बोलना शुरु किया, "दो साल पहले जब मैं बैंगलोर अपनी दूसरी जॉब करते पहुंचा था, तो मेरे लिए लाइफ के मायने बदल चुके थे। कॉलेज के दिन सुबह के सपने की तरह थे। मीठे मगर आसपास की खटर-पटर और शोरगुल में जल्दी टूट जाने वाले।"
"बैंगलोर! हाईटेक सिटी। मैं बैंगलोर की चमचमाती ऊंची इमारतों में रात-दिन काम करने वाले लाखों साफ्टवेयर इंजीनियर्स में से एक था। मैं अपना फेसबुक प्रोफाइल डिलीट कर चुका था। दोस्तों से बहुत कम बात करता था। नंबर बदला तो सिर्फ घरवालों को शेयर किया। क्या फायदा... दोस्त या तो घुमाफिराकर मुझे मेरे पुराने रिलेशनशिप के बारे में पूछते या झूठी सिंपैथी दिखाते।"?
?
"मुझे लगा मैं कहीं मिसफिट हूँ। जहां भी जाओ, लोगों की औपचारिकता, बनावटी बातें, बनावटी मुस्कान, थैंक्यू, सॉरी, इट्सओके... लगता था कि ऑफिस के बीचो-बीच खड़े होकर जोर से चिल्लाऊं... कमीनों! कभी तो अपने असली रूप में आओ। कभी तो दिल की बात बोल दो। मुझे देखकर मुस्कुराओ मत। गाली दो। एक प्लेट तोड़ दो, चाय गिरा दो। जोर से गाने बजाओ। किसी को ठेस पहुंचाकर बनावटी मुस्कान तो मत दिखाओ।"?
?
"ऑफिस के अलावा छुट्टियों में ऑफिस के कुछ दोस्तों की मंडली थी, जिनके साथ हम कभी-कभी किसी मॉल, पब या कॉफी हाउस में चले जाते थे। कभी सिनेमा देख लिया तो कभी बाहर सीढ़ियों पर बैठकर गप्पें मार लीं। मैं जयनगर से बीटीएम लेआउट की तरफ जाता था। मेन रो़ड पर ट्रैफिक बहुत ज्यादा था तो बाइक्स वालों ने अपने लिए कुछ शॉर्टकट खोज लिए थे। यहां की रोड खराब थी, दोनों तरफ कांस्ट्रक्शन चल रहे थे... मगर वक्त काफी बच जाता था।"??
"कोस्टल एरिया में चक्रवाती तूफान आया हुआ था। जब कभी ऐसा होता था तो बैंगलोर फुहारों से ढक जाता था। उस दिन मैं शाम को जल्दी निकल गया था। अभी आधे रास्ते पहुंचा कि मौसम तेजी से बिगड़ने लगा। तेज हवाओं के साथ स्याही जैसे बादल उमड़ने लगे। मेरी बाइक अचानक बंद हो गई। एक मिनट के लिए समझ में नहीं आया क्या करूं।"
"तड़तड़ाहट के साथ बारिश होने लगी। मैंने किसी तरह बाइक पेड़ के नीचे लगाई और कांस्ट्रक्शन एरिया की तरफ भागा। ऊपर खड़े होने की जगह थी मगर चढूं किधर से यह समझ में नहीं आ रहा था। 'Sir, Sir! Come, this side!' एक लड़की की आवाज आई। मैं उस तरफ लपका और लकड़ी के पटरे पर पांव रखकर चढ़ने की कोशिश करने लगा।"
"ऊपर आते-आते मेरा पांव गीली लकड़ी पर सरकने लगा। 'One minute Sir! Give me your hand...' मैंने उसे देखा वह 23-24 साल की एक युवा लड़की थी। सांवली रंगत, तीखी नैन-नक्श, बालों में लगे सफेद फूल अब कुम्हला चुके थे। सिर पे पीले रंग का हैलमेट और नारंगी-रुपहली पट्टियों वाली जैकेट।"?
?
"वह कांस्ट्रक्शन कंपनी में लेबर थी।' Sir, you wet! Do you get fever when you get wet in rain? I like to get wet in rain... but I always get fever."?
"What is you name?' मैंने पूछा। 'Sir, my name is सुमधुरा। I'm from Andhra. Telugu,"?
?
"OK... you speak English very well... how?"?
"बाहर बारिश बहुत तेज हो गई थी। लगता था सब कुछ बहा ले जाएगी। ज्यादातर लेबर जा चुके थे। कुछ लोग अभी भी काम समेट रहे थे तो कुछ बारिश खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। उसकी और मेरी बातचीत होने लगी। सुमधुरा ने बताया कि उसने लगातार छह साल एक विदेशी दंपति के यहां काम किया। वे उससे लगातार अंग्रेजी में बात करते थे और वह धीरे-धीरे उनके साथ बोलना सीखती गई।"?
"सुमधुरा पढ़ी-लिखी नहीं थी। गांव में एक-दो साल ही स्कूल गई। विदेशी दंपति ने उसे बहुत प्यार दिया मगर मंदी के दिनों में अचानक उनकी कंपनी ने इंडिया का काम समेट लिया और वे बैंगलोर छोड़कर वापस लौट गए। उसे फिर कुछ और काम तलाशना पड़ा। उसके चेहरे पर थोड़ी उदासी छा गई। पिता ने अपने साथ उसे भी इस कांस्ट्रक्शन कंपनी में काम पर लगता दिया। 'We want money ना! My brother is studying in class 12th... he will become a doctor!' बारिश बंद हो रही थी। मैं निकलने लगा। 'OK Sir, bye, good night!' सुमधुरा ने हाथ हिलाया।"?
?
"दिन बीतते गए। वह सांवली सी लड़की मेरी मशीनी जिंदगी में एक ताजी बयार की तरह थी। दुनिया में उसके जैसी कोई दूसरी लड़की नहीं हो सकती थी। ठेठ आंध्र प्रदेश के गांव की मगर छह साल अंग्रेजियत की चाशनी में पगी। अनपढ़ मगर खुद के प्रति जागरुक। मैं उधऱ से गुजरता तो अक्सर सुमधुरा दिख जाती। कभी तो वह मुस्कुराकर रह जाती मगर कई बार मैं बाइक रोककर उसका हालचाल पूछ लेता। मैंने उससे कहा कि मैं उसके लिए कोई अच्छा काम तलाशने में मदद करूंगा। एक दिन काम अधिक होने की वजह से मुझे संडे को आफिस के लिए निकलना पड़ा। सड़के खाली थीं मगर मैं उसी शॉर्टकट से गया।"?
?
"सुमधुरा खड़ी दिॆखी और उसने हाथ देकर मुझे रोका। उसने नए कपड़े पहन रखे थे। 'One minute, I have a surprise for you.' वह दौड़कर गई और एक छोड़ा सा रंगीन रैपर में लिपटा गिफ्ट लेकर आई। 'Remember, you told me last week that today is your birthday but unfortunately you have to go to office.' मैंने कहा, 'चलो मैं तुम्हें ट्रीट देता हूं।' मैंने पास की एक बेकरी से उसके लिए और उसकी फैमिली के लिए पेस्ट्री और स्नैक्स पैक कराए और फिर ऑफिस गया।"?
"कई दिन बीत गए... एक शाम हम दोस्तों का ग्रुप तफरी के मूड से निकला। दिन में हुई रुक-रुककर बारिश के बाद शाम को मौसम खुला हुआ था। शुक्रवार को अक्सर बैंगलोर के रेस्टोरेंट और कॉफी हाउस भरे रहते हैं और बाहर इंतजार करना पड़ता है। हम एक रेस्टोरेंट के बार इंतजार कर रहे थे कि तभी सुमधुरा सामने से झूमती हुई आती दिखी।"?
?
"वह शायद कुछ खरीदकर पैदल अपने घर की तरफ जा रही थी। मेरी और उसकी निगाहें मिल गईं। उसकी आंखें चमकीं। उसने मुस्कुराते हुए धीरे से अपना हाथ उठाया मगर मैंने निगाह चुरा ली। मुझे लगा कि वह मुझसे बात करना चाहेगी और मेरे दोस्तों के बीच अंग्रेजी बोलना चाहेगी। मगर मैं नहीं चाहता था कि हमारे गैंग में दीपाली और सुरेश को उससे जान-पहचान की सफाई देनी पड़े। वह करीब आती जा रही थी। मैं नीचे देखता रहा। सुमधुरा लगातार मेरी तरफ देखती रही कि शायद मैं निगाह उठाऊंगा फिर मेरे बगल से चली गई। मैंने पलटकर देखा तो उसकी चाल अब बदली हुई थी। कदम जहां के तहां पड़ रहे थे। चलने में एक किस्म की जल्दीबाजी थी। जब दूर जाकर वह बाईं तरफ की सड़क पर पलटी तो लगा उसने अपने पल्लू से आंखें पोंछी हैं।"?
"कई दिन बीत गए। मैं उधर से गुजरता तो सुमधुरा नहीं दिखती थी। एक दिन मैंने उतरकर उसके बारे में पूछा। पता लगा कि वह और उसके पिता दोनों कंपनी छोड़कर आंध्रा में अपने गांव चले गए। क्यों गए यह पता नहीं लगा। शायद उसके पिता की तबियत ठीक नहीं थी।"?
?
अवि... यानी अविरल, पल भर को चुप हो गया। फिर उसने बोलना शुरु किया, उसकी आवाज ऐसी थी जैसे मुझे संबोधित न कर रहा हो," मैं आज भी अपने आप को अपराधी महसूस करता हूं। हो सकता है कि वह अपनी मजबूरियों के कारण चली गई हो। शायद उसके पिता बीमार हो गए हों। हो सकता है कि उसे मेरे इस बिहैवियर से सदमा लगा हो। हो सकता है वह मुझे प्यार करने लगी हो। कुछ भी संभव था... काश मैं उस दिन अपनी निगाहें उठाकर मुसकुरा देता। मगर मैं अपने खोल से बाहर नहीं निकल पाया और कहीं खुशियों का एक फूल खिलते-खिलते रह गया। प्यार में होना कोई फैसला नहीं है..."
हम दोनों चुप थे। उसकी आधी काफी ठंडी हो चुकी थी। पतंगा अभी भी बाहर निकलने की कोशिश में बार-बार शीशे से टकरा रहा था।
यह कहानी हमें भेजी है निशा सिंह ने। निशा बैंगलोर में रहती हैं और घूमना, पढ़ना और नए-नए लोगों से मिलना उनका शौक है। इससे जो समय बचता है कहानियां लिखती हैं।
क्या आपके पास है कोई दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी। तो फिर देर मत कीजिए हमें भेजिए। हमारा मेल एड्रेस है firkee@auw.co.in 

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree