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1985 में हुए एयर इंडिया के कनिष्क प्लेन में बम ब्लास्ट के एकमात्र दोषी इंद्रजीत सिंह रेयात को कनाड़ा की जेल से रिहा कर दिया गया है। इस घटना में 329 पैसेंजर्स और 2 कर्मचारी मारे गए थे। इंद्रजीत करीब 20 साल तक जेल में रहा। एक फ्लैशबैक पूरी घटना पर-
इसलिए हुआ रिहा
साल 2003 में रिपुदमन सिंह मलिक और अजायब सिंह बागरी की सुनवाई के दौरान अदालत के सामने झूठ बोलने के लिए रेयात को दोषी करार दिया था। रेयात को झूठी गवाही के मामले में जनवरी 2011 में नौ साल की सजा सुनाई थी। इसमें से उसने जितना वक्त जेल में गुजारा था उसे कम कर दिया गया। सुनवाई और बाकी वक्त को मिलाकर वह करीब 20 साल तक जेल में रहा।
रिहाई तो हुई, लेकिन कड़ी शर्तों के साथ
कनाडा के कानून के मुताबिक, दोषियों को उनकी सजा का दो-तिहाई हिस्सा पूरा होने के बाद बाकी की सजा कम्युनिटी सर्विस के तौर पर काटनी होती है। रेयात को अगस्त 2018 तक कम्युनिटी सर्विस करनी होगी। इसके लिए कड़ी शर्तें लगाई गई हैं। वह विक्टिम्स की फैमिली या इस मामले से जुड़े लोगों से कॉन्टेक्ट नहीं कर सकेगा। न ही वह पॉलिटिकल एक्टिविटीज में हिस्सा ले सकेगा।
क्या था रेयात का दोष
पंजाब से यहां आए पेशे से मैकेनिक रेयात ने डायनामाइट, डिटोनेटर्स और बैटरियां खरीदी थीं। इन्हीं की मदद से बम बनाए गए और विस्फोट किया गया। उसे 2003 में कोर्ट के सामने झूठ बोलने का भी दोषी पाया गया था। इसी मामले में रिपुदमन सिंह और अजब सिंह को भी दोषी ठहराया गया था लेकिन बाद में इन्हें रिहा कर दिया गया।
कैसे और कब हुआ था हादसा
माना जाता है कि रेयात और उसके साथी 1984 में स्वर्ण मंदिर में सेना के ऑपरेशन से नाराज थे। इसीलिए उन्होंने इस साजिश को अंजाम दिया। एअर इंडिया की फ्लाइट नंबर 182 ने 22 जून को कनाडा के मॉन्ट्रियल एयरपोर्ट से नई दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी। विमान जब लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे की ओर जा रहा था उसी दौरान पहला विस्फोट आयरलैंड के तट पर हुआ। दूसरा विस्फोट जापान के नरीता हवाईअड्डे पर हुआ जिसमें सामान उठाने वाले दो कर्मचारी मारे गए थे।
ऐसे रची गई साजिश
22 जून 1985 को वैंकुवर एयरपोर्ट पर एम.सिंह व एल.सिंह नाम के दो लोगों ने दो फ्लाइट्स के टिकट खरीदे। इन लोगों ने प्लेन में दो बैग रखवाए, लेकिन खुद सवार नहीं हुए।
पहला बैग कनिष्क में रखा गया। इसमें रखा गया बम आयरलैंड के आसमान मे फटा। इसमें 329 लोग मारे गए। इसमें क्रू मेंबर्स भी शामिल थे।
दूसरा बैग, कनाडा पेसिफिक एयरलाइंस के जरिए वैंकूवर से टोक्यो चला गया। दरअसल, इसे एयर इंडिया की फ्लाइट नंबर 301 में रखा जाना था। लेकिन यह टोक्यो के नरिता एयरपोर्ट पर ही फट गया। दो लोग मारे गए।