जानिए कैसे पकौड़े बेचने वाला बना सबसे बड़ा बिजनेस टाइकून
Rahul Ashiwal
Updated Wed, 28 Dec 2016 11:55 AM IST
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विस्तार
वो कहते है ना की...आसान नहीं ज़िंदगी को मंजिल तक ले जाना, क्योंकि...कभी राहे साथ नही देती...तो....कभी जिंदगी साथ नही देती...। लेकिन जिंदगी की तमाम कठिनाईयों के बावजूद अपनी मंजिल तक पंहुचे ये दिग्गज, हम बात कर रहे है धिरूभाई अंबानी की। वैसे तो इनके बारे में कुछ भी बताना सूरज को दीया दिखाने जैसा होगा, लेकिन फिर भी आइए बताते है, अपनी काबिलियत के बूते पर बुलंदियों पर अपना नाम लिखने वाले इस दिग्गज के बारे में कुछ खास बातें...।
धीरजलाल हिराचंद अम्बानी (धीरूभाई अम्बानी) एक प्रसिद्ध भारतीय व्यवसायी थे जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की। धीरुभाई की कहानी एक छोटे व्यापारी से बहुत बड़े व्यावसायिक टाइकून बनने की कहानी है।
कुछ कहानियां असाधारण होती है, ऐसी ही कहानियां में एक नाम धीरूभाई अंबानी का भी है। धीरजलाल हीरालाल अंबानी गुजरात के एक बेहद ही मामूली शिक्षक के परिवार में (28 December 1932) जन्मे थे। उन्होंने मात्र हाईस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की थी पर अपने दृढ-संकल्प के बूते उन्होंने स्वयं का विशाल व्यापारिक और औद्योगिक साम्राज्य स्थापित किया।
कहा जाता है की धीरुभाई अंबानी ने अपना उद्योग व्यवसाय सप्ताहंत में गिरनार कि पहाड़ियों पर तीर्थयात्रियों को पकौड़े बेच कर किया था।
फर्श ये अर्श तक का सफर तय करने वाले देश के मशहूर इंड्रस्टलिस्ट स्वर्गीय धीरूभाई अंबानी ने 1950 में यमन में नौकरी भी की थी। तब उन्हें 300 रुपए महीने सैलरी मिलती थी। फिर उन्होंने कारोबार शुरू किया और बड़े औद्योगिक ग्रुप की स्थापना की।
उन्होंने अपना करियर अमन के एक पेट्रोल पंप पर एक सामान्य पेट्रोल फिलर के रूप में शुरू किया था। बहुत जल्दी ही उन्होंने अपने रिश्ते के भाई के साथ टेक्सटाईल धागों का व्यापार शुरू कर दिया। दोनों भाई अपने बीच आपसी वैचारिक मतभेद तथा व्यापार के तरीकों के चलते अलग हो गए। इसके बाद धीरूभाई अंबानी ने आक्रामक ढंग से अपने व्यापार का विस्तार शुरू किया और देखते ही देखते उनकी कंपनी का विमल ब्रांड पूरे देश पर छा गया।
उनकी कंपनी देश के हर घर में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही। इस दौरान उन्होंने कई बेहद जटिल समस्याओं का सफलतापूर्वक सामना किया और अपनी कंपनी रिलायंस को देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी में बदल दिया।
हालाँकि कारोबार की सफलता में धीरुभाई अम्बानी ने आसमान की बुलंदियों को छू लिया था पर उनपर लचीले मूल्यों और अनैतिक प्रवृति अपनाने के आरोप भी लगे। उनपर यह आरोप लगा कि उन्होंने सरकारी नीतियों को अपनी आवश्यकताओं के अनुकूल चालाकी से बदलवाया और अपने प्रतिद्वंदियों को भी सरकारी नीतियों के सहारे पठखनी दी।
धीरूभाई अंबानी भारत के मशहूर इंड्रस्टलिस्ट में से एक थे। लेकिन कभी इन्हें किराए के मकान में रहना पड़ा था। छोटे इन्वेस्टमेंट से कारोबार शुरु करने वाले कारोबारी धीरूभाई के बेटे के पास आज दुनिया का सबसे महंगा घर है।
नब्बे के दशक में उनकी खराब तबियत के चलते उन्होंने अपना व्यापार अपने दोनों बेटों मुकेश अंबानी तथा अनिल अंबानी को सौंप दिया। 6 जुलाई 2002 को उनकी एक मेजर स्ट्रोक के कारण मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में मृत्यु हो गई। धीरुभाई ने ये व्यवसाय केवल 15, 000 रूपये से शुरू किया था, लेकिन धीरुभाई के मरने के समय, रिल्यांस समूह की सालाना राशि रूपये 75,000 करोड़ थी।
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