विस्तार
वैसे तो पाकिस्तान का नाम आने पर कई लोग संदेह और नफरत की नजर से देखें, मगर इस बात में किसी को कोई शक नहीं होगा कि भारत और पाकिस्तान के कल्चर, खाने, भाषा और रहन-सहन में काफी समानताएं हैँ।
जो स्थान भारत में मुंबई का है, वही एहमियत पाकिस्तान में कराची शहर रखता है। देश की राजधानी हो या न हो, मगर दुनिया के सामने बोलबाला इन्हीं शहरों का है। इसी में शहर में बनी-बसी दुनिया भर में मशहूर मार्केट – महारानी बाजार, जिसे लोग एम्प्रेस मार्केट नाम से जानते हैं।
कराची शहर के सदर में ने इस मार्केट को अंग्रेजो बनाया था। दुनिया भर में कराची के एम्प्रेस मार्केट काफी मशहूर है। इस शहर के सबसे व्यस्त और पापुलर शॉपिंग स्पॉट में से एक एम्प्रेस मार्केट, एक ऐतिहासिक स्थल भी है। इस मार्केट फेमस होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां सब कुछ मिलता है।
कैसे पड़ा यह नाम
10 नवंबर 1884 को इस मार्केट बुनियाद रखी गई थी और 21 मार्च 1889 में यह मार्केट बन कर तैयार हुआ। मल्लिका-ए-हिंद यानि भारत की महारानी विक्टोरिया की याद में बने इस मार्केट को एम्प्रेस मार्केट नाम दिया गया।
मार्केट इतिहास
उस समय इस मार्केट को बनामे में 1 लाख 20 हजार रुपए का खर्च आया। इस मार्केट को बनाने के लिए जयपुर के सुर्ख तराशे हुए पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। पाकिस्तान में इस मार्केट को आर्किटेक्टर की मुंह बोलता सबूत माना जाता है। इस इतारत का नक्शा और डिजाइन जेम्स स्ट्रैचन ने बनाया।
आजादी के संग्राम देखा है
इस मार्केट के लिए एक ऐसी जगह को तलाशा गया, जहां से यह आसानी से नजरों में आ जाए। इसके लिए इसमें 140 फुट ऊंची मीनार भी बनाई गई। इसके अलावा इस मार्केट की सरजमीं ने 1857 की लड़ाई के सिपाहियों के बेरहम मौत भी देखी है। विद्रोह की आवाज को दबाने के लिए उन सिपाहियों के सिर तोप के गोलों से उड़ा दिए गए थे।
कैसी है बनावट
इस मार्केट की शुरुआत में 40 फुट के चौड़े 4 गलियारे बनाए गए, जिसमें कुल 280 दुकानें थीं। मगर गुजरते वक्त के साथ इनकी तादाद में इजाफा होता गया। इस मार्केट की रौनक का अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि इस मार्केट में देर रात तक आम बाशिंदों का हुजूम लगा रहता है।