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इस हॉस्पिटल में होता है सिर्फ 'डॉल्स' का इलाज़

Updated Tue, 08 Mar 2016 02:40 PM IST
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अब तक आपने इंसानो और जानवरों के हॉस्पिटल देखे होंगे। लेकिन क्या कभी आपने सुना है डॉल्स के हॉस्पिटल के बारे में, अगर नही तो ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में एक ऐसा हॉस्पिटल है जहां केवल गुड़ियों का इलाज़ होता है। यहां पर खराब, टूटी-फूटी डॉल्स को रिपेयर किया जाता हैं। यदि आप यह सोच रहे हैं कि इस डॉल्स हॉस्पिटल में कौन आता होगा तो फिर आप भी चौंक जाएंगे क्योंकि पिछले 101 सालो में इस हॉस्पिटल में 30 लाख से ज्यादा डॉल्स का इलाज़ हो चुका है।

doll-hospital-sydney-3[6]1913 में हुई शुरुआत

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में इस हॉस्पिटल की शुरुआत 1913 में हारोल्ड चैपमैन ने की थी। पहले इसे जनरल स्टोर के रूप में शुरु किया गया था । उनके भाई का शिपिंग का कारोबार था और इसी के तहत जापान से डॉल्स इम्पोर्ट की जाती थीं। लाने ले जाने के दौरान डॉल्स के पार्ट टूट-फूट जाते थे, जिसे हारोल्ड ठीक किया करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने जनरल स्टोर को एक डॉल अस्पताल का स्वरूप दे दिया। फिलहाल इस डॉल अस्पताल का संचालन हारोल्ड के पोते जियोफ कर रहे हैं।

doll-hospital-sydney-2[6]एक्सपर्ट्स करते है इलाज़

यह अस्पताल अपने आप में इसलिए भी खास माना जाता है क्योंकि यहां डॉल्स को ठीक करने के बेहतरीन एक्सपर्ट्स हैं। यहां पर एक आम हॉस्पिटल की तरह ही अलग अलग वार्ड बने हुए हैं जहां पर अलग-अलग स्पेशलिस्ट सेवा देते हैं। कोई स्पेशलिस्ट गुड़िया का सिर रिपेयर करने में माहिर है तो कोई पैर। यहां पर मॉर्डन और एन्टीक डॉल्स के भी अलग अलग सेक्शन बने हुए है। अस्पताल की शुरुआत में यहां पर केवल डॉल्स ही ठीक की जाती थी पर जब 1930 में हारोल्ड चैपमैन के बेटे ने यहां काम संभाला तो उन्होंने यहां पर अन्य चीज़ों की भी रिपेयरिंग भी शुरू कर दी जैसे कि टेडी बियर, सॉफ्ट टॉयज, अम्ब्रेला, हैंड बैग आदि। लेकिन यहां की स्पेशिलिटी डॉल्स रिपेयरिंग ही है।

Sydney+Doll+Hospital+Centenary+ym3Z6LWzcTrl1939 में चमका कारोबार

गुड़ियों के इस अस्पताल की शुरुआत तो 1913 में ही हो गई थी लेकिन डॉल्स रिपेयरिंग का उनका काम 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध (सेकंड वर्ल्ड वार) के समय चमका था।  क्योंकि युद्ध के चलते हर देश में उस चीज़ की कमी हो गई थी जो दूसरे देशों से आती थी इसीलिए ऑस्ट्रेलिया में भी नई डॉल्स की बेहद कमी हो गई थी क्योकि वहां पर अधिकतर डॉल्स जापान से आती थीं। इसके चलते जिसके पास जो डॉल्स थी उसे उससे ही काम चलाना पड़ रहा था और जब वो खराब हो जाती तो उन्हें रिपेयर कराने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता था।

doll-hospital-sydney-7[2]बच्चे होते है खुश

डॉल हॉस्पिटल के वर्तमान संचालक जियोफ का कहना है कि जब कोई बच्ची अपनी प्यारी डॉल को वापस लेने आती है, तब उसके चहरे पर जो मुस्कान होती है उससे बढ़कर हमारे लिए कोई चीज़ नहीं है। साथ ही वो कहते हैं की जब लोग अपनी प्यारी डॉल यहां जमा कराने आते हैं तो उनकी आंखों में आंसू होते हैं लेकिन जब वो डॉल वापस लेने आते हैं तो उनके आंसू ख़ुशी में बदल जाते हैं। doll-hospital-sydney-15[5]
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