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बचपन से सुनते-देखते आएं है कि दुनिया बड़ी टेढ़ी है। यहां पर रहना-जीना बहुत मुश्किल है। लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है जो इस बात से अलग सोचने के लिए मजबूर कर ही देता है। यहां-वहां से ऐसी कोई कहानी हमारे सामने आ जाती है, जो हमारे अंदर इंसानियत और अच्छाई को फिर जगा देती है। दया, उदारता और इंसानियत से जुड़ी इन कहानियों के कारण ही शायद आज भी इन बातों पर विश्वास कायम है।
एक ऐसी कहानी हमें सुनाई दिलीप मेनेजेस ने। अपनी महंगी बाइक पर सवार हो कर नर्सीपटनम से लंबासिन्गी को निकले दिलीप ने अपने साथ हुई एक ऐसी घटना की बात बताई, जिसने दुनिया को हैरान कर दिया।
सुबह के समय राइड पर निकले दिलीप, एक झोंपड़ी के पास रुके। वहाँ एक आदमी टेबल पर चाय बेच रहा था। मेनेजेस ने चाय के साथ कुछ खाने को मांगा। चाय देकर उस आदमी ने एक ऐसी भाषा में बात की जिसे मेनेजेस नहीं समझते थे। उन्होंने चाय का ग्लास पकड़ कर खाने का इशारा किया। चायवाले ने अपनी बीवी के साथ उसी भाषा में कुछ बात की जो मेनेसेज के लिए एक पहेली ही थी।
महिला ने दिलीप से बैठने को कहा और अंदर से उसके लिए इडली और चटनी ले कर आई। दिलीप ने वो खाने के बाद, पैसे देने के लिए खड़ा हुए। चायवाले उससे सिर्फ ₹5 ही मांगे। यह सुन कर मेनेसेज हैरान हो गए। इनती गर्मजोशी के साथ खिलाए खाने की इतनी कम कीमत...
इसकी वजह दिलीप को बाद में समझ आई। वह आदमी सिर्फ चाय की दुकान चलाता था, तो उसने सिर्फ चाय के ही पैसे मांगे। वो इडली उन दोनो पति-पत्नी का नाश्ता था। यह जानकर दिलीप को जोर का झटका ही लगा। अजनबियों की ये उदारता और दया देख कर उनका दिल पसीज गया। दिलीप ने उन्हें ज्यादा पैसे देने को कहा, तो दोनों ने साफ इंकार कर दिया।
यह दिलीप को शायद इंसानियत की सबसे बेहतरीन मिसाल मिली होगी। इस बारे में दिलीप मेनेसेज लिखते हैं:
आपने वास्तव में कुछ नहीं दिया, अगर आपको दी गई चीज का दुख है।
शायद इंसानियत कहीं न कहीं जिंदा तो है ही... शायद!!